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Shree Anna क्या है, भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ रही मांग

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता :‌. ( Shree Anna ) वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स इयर घोषित किया गया है। ऐसे में साल की शुरुआत से ही मिलेट्स, जिसे हम मोटे अनाज के रूप में जानते हैं उसके देश के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और स्वीकृति के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। हाल ही में पीएम मोदी ने ग्लोबल मिलेट्स सम्मेलन का उद्घाटन किया। उस कार्यक्रम में खास बात ये रही कि मिलेट्स जिसे भारत में हम अब तक मोटे अनाज के रूप में जानते रहे हैं, उसकी ब्रांडिंग के लिए अब उसे श्री अन्न का नाम दिया गया है।


Shree Anna क्या है ‘श्री अन्न’


कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने विदेशी प्रतिनिधियों को मिलेट के लिए भारत की ब्रांडिंग संबंधी पहल के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भारत में मिलेट्स या मोटे अनाज को अब ‘श्री अन्न’ की पहचान दी गई है। उन्होंने विस्तार से बताया कि ‘श्री अन्न’ केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा से परिचित लोग इस बात से अच्छी तरह अवगत है कि हमारे यहां किसी के आगे ‘श्री’ ऐसे ही नहीं जुड़ता है और जहां श्री होती है, वहां समृद्धि भी होती है, और समग्रता भी होती है। पीएम ने कहा, “अब श्री अन्न भी भारत में समग्र विकास का एक माध्यम बन रहा है। इसमें गांव भी जुड़ा है, गरीब भी जुड़ा है।” उन्होंने कहा, “श्री अन्न यानि देश के छोटे किसानों की समृद्धि का द्वार, श्री अन्न यानि देश के करोड़ों लोगों के पोषण का कर्णधार, श्री अन्न यानि देश के आदिवासी समाज का सत्कार, श्री अन्न यानि कम पानी में ज्यादा फसल की पैदावार, श्री अन्न यानि केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार, श्री अन्न यानि क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने में मददगार।”

भारत में श्री अन्न की पैदावार व स्थिति


भारत मोटे अनाजों यानि श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक है। राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि जैसे प्रमुख मोटा अनाज उगाने वाले राज्यों में उत्पादित मोटे अनाजों की एक व्यापक श्रृंखला से देश समृद्ध है। भारत ने 17.96 मिलियन मीट्रिक टन (एमटी) मोटे अनाजों का उत्पादन किया। भारत में उगाए जाने वाले मोटे अनाजों में पर्ल मिलेट, ज्वार, फिंगर मिलेट और प्रोसो मिलेट, कोदो मिलेट, छोटा मिलेट, कंगनी मिलेट, ब्राउनटॉप मिलेट, बार्नयार्ड मिलेट, चौलाई और बकवीट जैसे गौण मोटे अनाज, (बाजरा, रागी, कुट्टु, काकुन, चीना, सांवा, कोदो) आदि शामिल हैं शामिल हैं। भारत सरकार भी अपने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के हिस्से के रूप में मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इन कारकों के परिणामस्वरूप, आने वाले वर्षों में भारत में मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है।


139 देशों को मोटे अनाज का निर्यात

वर्ष 2021-22 में भारत का मोटे अनाजों का निर्यात 64 मिलियन डॉलर है। अप्रैल-दिसंबर 2023 की अवधि में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में मोटे अनाजों के निर्यात में 12.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मोटे अनाजों के निर्यात में पिछले दशक में उल्लेखनीय बदलाव देखा गया है। 2011-12 में प्रमुख आयातक देश अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, बेल्जियम आदि थे, जिनकी जगह 2021-22 में नेपाल (6.09 मिलियन डॉलर), संयुक्त अरब अमीरात (4.84 मिलियन डॉलर) और सऊदी अरब (3.84 मिलियन डॉलर) ने ले ली थी। केन्या, पाकिस्तान भी पिछले एक दशक में भारत के संभावित आयात गंतव्यों में शामिल थे। भारत के मोटे अनाजों के निर्यात की वर्तमान शीर्ष दस की सूची में अन्य सात गंतव्य देश लीबिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को, ब्रिटेन, यमन, ओमान और अल्जीरिया हैं। भारत विश्व भर के 139 देशों को मोटे अनाज निर्यात कर रहा है। भारतीय मोटे अनाजों के मूल्य वर्धित उत्पादों का निर्यात भी विश्व भर में विस्तारित है।




श्री अन्न के लिए बजट में भी प्रावधान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2023-14 का बजट पेश करते हुए कहा कि भारत श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। ऐसे में भारत को श्री अन्न का एक वैश्विक केंद्र बनाने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान हैदराबाद को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि बाजरा को लोकप्रिय बनाने में भारत सबसे आगे है। इसके उपभोग से खाद्य सुरक्षा और किसानों की स्थिति में सुधार होता है। इसको बड़े स्तर पर लोगों के बीच प्रचारित और प्रसारित करने की योजना है।

मोटे अनाज का बढ़ रहा बाजार

‘इंटरनेशनल मिलेट इयर’ से मोटे अनाज उद्योग पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जिससे वैश्विक बाजार में इसकी वृद्धि और विकास को और बढ़ावा मिलेगा। आज भारत के पास मोटे अनाजों और इसके मूल्य वर्धित उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख देश के रूप में विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता है। देश के कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के साथ अग्रिम मोर्चे पर स्थित एपीडा ने इन अनूठे उत्पादों को पोषक मोटे अनाज के बास्केट से चुना है और इन्हें वैश्विक पोषक अनाज क्रांति लाने के लक्ष्य के साथ वैश्विक बाजार में प्रदर्शित किया है। एपीडा ने एफएओ द्वारा रोम, इटली में अपने मुख्यालय में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया और मोटे अनाजों की विभिन्न किस्मों और मूल्य वर्धित मोटे अनाज उत्पादों को प्रदर्शित किया। एपीडा ने जकार्ता, मेदान, नेपाल, ब्रुसेल्स, बेल्जियम में मोटे अनाजों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन किया। इसके अतिरिक्त, मलेशिया, ईयू, यूएई, मलेशिया, जापान और अल्जीरिया के साथ वर्चुअल क्रेता विक्रेता बैठक का आयोजन किया गया।

एपीडा ने वैश्विक पहुंच को व्यापक बनाने के लिए भारी प्रयासों के साथ 2025 तक 100 मिलियन डॉलर के लक्ष्य को अर्जित करने के लिए मोटे अनाज और इसके मूल्य वर्धित उत्पादों के साथ वैश्विक बास्केट को विस्तारित करने के लिए एक मजबूत कार्यनीति बनाई है। भारत पौष्टिक रूप से समृद्ध भारतीय मोटे अनाजों के एक बास्केट जिसे वैश्विक बाजार में श्री अन्न के नाम से जाना जाता है, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 में आगे बढ़ रहा है।



भारत में बदल रहा मिलेट्स का स्वरूप

रेडी टू इट, रेडी टू कुक और रेडी टू सर्व उत्पाद सभी आयु समूहों के लिए उपयुक्त पौष्टिक भोजन के रूप में सरल भोजन समाधान की एक सीरीज तैयार करने के लिए 200 से अधिक स्टार्टअप कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा भारत मोटे अनाजों के वैल्यू एडेड उत्पादों की अद्वितीय किस्मों से समृद्ध है, जिसमें मिलेट पिज्जा बेस, मिलेट आइसक्रीम, आइसक्रीम कोन और कप, मिलेट केक और ब्राउनी, नाश्ते से संबंधित अनाज, पारंपरिक भारतीय डोसा, पोहा, उपमा, पास्ता, नूडल्स मिलेट मिल्क, चाय, खाने योग्य मिलेट चाय के कप जो पर्यावरण के इतने अनुकूल हैं कि उन्हें या तो सीधे खाया जा सकता है या आहार/चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है।



अन्य खाद्य उत्पाद की बढ़ रही मांग

इडली, डोसा, इडियप्पम, रोटी, पुट्टू, उपमा, दलिया, चपाती, पैनकेक, वर्मिसेली उपमा, पास्ता, नूडल्स, मैक्रोनी, सूजी/सूजी, मूसली, इंस्टेंट मिक्स नाश्ते की सामग्री के रूप में मुड्डे, हलवा, अधिरसम, केसरी, पौष्टिक गेंद, मिठाई के रूप में पायसम/खीर, वड़ा, पकौड़ा, मुरुक्कू, भेलपुरी, बोली, पापड़, रेडी टू ईट मिक्स, फ्लेक्स, पफ, बाजरे के लड्डू, मोटे अनाज के रस्क स्नैक्स के रूप में और कुछ बेकरी उत्पाद जैसे ब्रेड, केक, कुकीज, सूप स्टिक, खाद्य बिस्किट कप, हेल्थ बार, स्प्रेड, मफिन, आदि जैसे मोटे अनाज के साथ बहुत सारे वैल्यू ऐडेड उत्पाद बनाए गए हैं। बीयर, सूप, माल्टेड बाजरा आधारित पेय, अंकुरित रागी ड्रिंक मिक्स, मल्टीग्रेन ड्रिंक मिक्स, रेडी टू ड्रिंक पेय जैसे पेय पदार्थ मोटे अनाजों के साथ भी बनाये गये हैं। इनके अतिरिक्त, मोटे अनाजों से बने कुछ अन्य खाद्य पदार्थों में बिरयानी, वीनिंग फूड/शिशु आहार, चाट मिक्स आदि शामिल हैं।



मोटे अनाज की बाजार पर ‘धाक’ की शुरुआत

जिस तरह से देश में मोटे अनाजों की मांग बढ़ी है साथ ही स्टार्टअप्स से हर आयु वर्ग को ध्यान में रखते हुए वैल्यू एड प्रोडक्ट बना रही है, उससे आने वाले दिनों में मोटे अनाज का बाजार और बढ़ने वाला है। साथ ही मोटे अनाजों के प्रचार-प्रसार की यात्रा ने मोटे अनाजों के निर्यात में तेजी प्रदर्शित करते हुए सकारात्मक प्रभाव डाला है। भारत को मोटे अनाजों के प्रमुख उत्पादक से अग्रणी निर्यातक देश के रूप में ले जाने, देश भर में लाखों भारतीय किसानों के लिए एक समृद्ध भविष्य की दिशा में योगदान देने और खाद्य तथा पोषण संबंधी सुरक्षा अर्जित करने के लिए मूल्यवान योगदान देने की पूरी तैयारी की जा रही है। भारतीय मोटे अनाजों के गुणों को वैश्विक उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए यात्रा अभी आरंभ हुई है।

पोषण पखवाड़ा समारोह 20 मार्च से शुरू, मोटे अनाज के जरिए पोषण को बढ़ावा




देशभर में 20 मार्च से 3 अप्रैल तक पांचवां पोषण पखवाड़ा मनाया जाएगा। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से मनाए जा रहे इस पखवाड़ा का उद्देश्य, जन आंदोलन और जन भागीदारी के माध्यम से पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और खान-पान की स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना है।

पोषण पखवाड़ा की थीम

पोषण पखवाड़ा 2023 की थीम है- “सभी के लिए पोषण: एक साथ, स्वस्थ भारत की ओर।” 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष के रूप में घोषित होने के साथ, इस वर्ष पोषण पखवाड़ा का केंद्र-बिंदु, कुपोषण को दूर करने के लिए एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में ’श्री अन्न’ -जिसे सभी अनाजों की जननी कहा जाता है- को लोकप्रिय बनाने पर होगा।

पोषण पखवाड़ा के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रम

मोटे अनाज आधारित खाद्य पदार्थों को पूरक पोषण से जोड़ने, घर-घर तक पहुंचने, आहार परामर्श शिविर आदि के आयोजन के माध्यम से पोषण-कल्याण के लिए मोटे अनाज को बढ़ावा देना और इन्हें लोकप्रिय बनाना।
स्वस्थ बालक प्रतिस्पर्धा समारोह के तहत अच्छे पोषण, अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए प्रतिस्पर्धा की स्वस्थ भावना पैदा करके परिभाषित मानकों के अनुरूप ‘स्वस्थ बालक’ की पहचान करना और इसका उत्सव मनाना
सक्षम आंगनवाड़ियों को लोकप्रिय बनाना: आंगनवाड़ियों को लोकप्रिय बनाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाएंगे, इसके लिए आंगनवाड़ियों को बेहतर पोषण, प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के केंद्रों के रूप में उन्नत अवसंरचना और सुविधाओं के साथ सक्षम किया जाएगा।

पोषण के संदेश के प्रचार

प्रसार के लिए आंगनवाड़ी केंद्र एवं परियोजना स्तर पर अलग-अलग गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। आंगनवाड़ी केंद्र पर पोषण रैली, प्रभात फेरी, माता समूह के साथ बैठक, गृह भ्रमण, हैंड वाशिंग, वृद्धि निगरानी, आपदा प्रबंधन, पोषण वाटिका की स्थापना, संध्या बैठक का आयोजन, दिवाल लेखन, किशोरी समूह की बैठक, प्रश्नोतरी, चित्रकारी, निबंध/रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन, योग एवं आयुष गतिविधि, जीविका समूह के साथ बैठक एनीमिया कैंप आदि गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।

पोषण पखवाड़ा की कब हुई शुरुआत

पीएम मोदी ने 8 मार्च 2018 को पोषण अभियान शुरू किया था, जो कि लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने और पोषण पर चर्चा को मुख्यधारा में लाने में सहायक रहा है। पोषण अभियान की शुरुआत पोषण संबंधी परिणामों में समग्र रूप से सुधार लाने के उद्देश्य से की गयी थी। कुपोषण-मुक्त भारत के वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण घटक है- व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर व्यवहार परिवर्तन।

पोषण पखवाड़ा प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में 15 दिनों तक मनाया जाता है। इसी तरह, सितंबर के महीने को, पूरे देश में राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। अब तक मनाए गए पोषण माह और पखवाड़ा में; सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, अग्रिम पंक्ति की संस्थाओं, मंत्रालयों के साथ-साथ आम लोगों की व्यापक भागीदारी देखी गयी है। पोषण पखवाड़ा, 2022 में देश भर में करीब 2.96 करोड़ कार्यक्रम आयोजित किये गए थे।

गौरतलब हो कि भारत सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए चरणबद्ध ढंग से पोषण अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत जीरो से 6 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती दूध पिलाने वाली माताओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में समयबद्ध तरीके से सुधार के लिए महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय पोषण मिशन का गठन किया गया है। देश में पोषण के प्रति जागरूकता के लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। इनमें आगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से बच्चों और गर्भवति, किशोरियों को जागरूक किया जाता है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, आशा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक केंद्रों में, सहायता समहू के माध्यम से माध्यम से महिलाओ, लड़कियों, बच्चों को खाने के आहार दिए जा रहे है जिससे उनके शारीरिक विकास में वृद्धि हो पाए।

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