ASANSOL-BURNPUR

Burnpur में CBI का छापा, कोयला कारोबारी हिरासत में

बंगाल मिरर, एस सिंह  : ( CBI Raid In Burnpur ) कोयला तस्करी के मामले में गुरुवार बर्नपुर BURNPUR के पुरानाहाट इलाका में सीबीआई ने छापेमारी की । सीबीआई के अधिकारी केन्द्रीय बल के साथ रामबाँध में रिटायर्ड सीआईएसएफ कांस्टेबल के आवास में छापेमारी की । सीआरपीएफ ने पूरे आवास को घेर रखा था । इस ठिकाने पर दो साल पहले भी सीबीआई ने छापा मारा था।वहीं पास ही स्थित एक कोयला कारोबारी के घर पर भी छापेमारी की गई। पूछताछ के दौरान कोयला कारोबारी को हिरासत में लिया गया। 

सूत्रों के मुताबिक 1990 में उक्त सीआईएसएफ ने सेल आईएसपी बर्नपुर कारखाना में अपना योगदान दिया था । तब उसपर एक बरिष्ठ अधिकारी के साथ मिलकर गड़बड़ी का भी आरोप लगा था। उसके खिलाफ डिपार्टमेंटल जॉच भी हुई थी लेकिन बाद में वह जाँच ठंडे बस्ते में चली गयी। उसका ससुराल बर्नपुर में है । उसने  पहले रिवरसाइड रोड में आलीशान मकान बनवाया बाद के दिनों में वह रामबाँध में रहने लगा वह भिलाई राउरकेला स्टील प्लांट में भी कार्य किया है एवं करोड़ों की चल अचल संपत्ति अर्जित कीजबकि इसका पैतृक गांव मालदा में है। जहां इसके आम के कई बाग है । बिहार, झारखंड में भी इसकी सम्पति है कोयला तस्कर लाला से भी इसके संपर्क की कुंडली सीबीआई खंगाल रही है।

कोयला घोटाला मामले में सीबीआई एक बार फिर एक्शन मोड में है. कोलकाता के भवानीपुर, दुर्गापुर, कुल्टी, मालदह समेत कुल 13 जगहों पर केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों ने एक साथ तलाशी ली.सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, सीआईएसएफ के दो पूर्व अधिकारी श्यामल सिंह और स्नेहाशीष के घरों की तलाशी ली जा रही है. केंद्रीय बलों ने पहले ही भवानीपुर में श्यामल सिंह के दो फ्लैटों को घेर लिया है. सीबीआई ने दुर्गापुर निवासी और मालदा के रतुआर कहला निवासी पूर्व सीआईएसएफ अधिकारी सौरभ कुमार के घर पर भी छापेमारी की.

सीआईएसएफ प्रमुख के कहला स्थित घर के लोगों के मोबाइल फोन जब्त कर लिये गये हैं. वह कई वर्षों तक आसनसोल में रहे। उस समय कुछ ही वर्षों में उनकी आश्चर्यजनक उन्नति हुई। सीआईएसएफ अधिकारी कई सालों से लापता था. इसके बाद वह वापस आ गये. उनके घर पर अचानक हुई सीबीआई सर्च से स्वाभाविक तौर पर पूरे इलाके में सनसनी मच गई है.सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, जिनके घरों की तलाशी हो रही है, वे सभी कोयला घोटाले के मुख्य आरोपी अनूप माझी उर्फ लाला ‘घनिष्ठा’ हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी का मानना है कि लाला को ईसीएल अधिकारियों का समर्थन प्राप्त था. वे भारी रकम के बदले अवैध खदानों से कोयले की तस्करी में मदद करते थे। वह कोयला लदी मालवाहक गाड़ी आसानी से राज्य से बाहर जा सकती थी. वहीं इस पूरी प्रक्रिया में सीआईएसएफ के अधिकारियों की भी मिलीभगत रही.

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