DURGAPUR

SAIL डिप्लोमा अभियंता निराश 7 वर्ष बाद भी नही पारित हो सका जूनियर इंजीनियर पदनाम

बंगाल मिरर,  दुर्गापुर: सात वर्ष पहले दिनांक 1 मई 2017 को सेल में कार्यरत डिप्लोमा अभियन्ताओं को जूनियर इंजीनियर पदनाम देने हेतु इस्पात मंत्रालय द्वारा निदेशपत्र जारी किया गया था, परंतु लंबे संघर्ष के बावजूद सेल मैनेजमेंट द्वारा इसे आज तक लागू नही किया गया है।इस पर डेफि के पदाधिकारियों द्वारा प्रतिक्रिया दी गयी है,*

*डेफि के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र नाथ दास ने कहा की_”मैनेजमेंट की प्लांट में कार्यरत डिप्लोमा अभियन्ताओं  के प्रति संवेदनशीलता के अभाव के कारण जूनियर इंजीनियर पदनाम नही लागू हो सका। हम इस मुद्दे को लेकर प्रयासरत है।और यह अवश्य लागू होकर रहेगा।”_*

*डेफि के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राजेश शर्मा ने इस मुद्दे पर कहा-*
*_”पदनाम  के मुद्दे पर मैनेजमेंट की बेरुखी एवं उदासीनता डिप्लोमा इंजीनियर वर्ग के मनोबल एवं कार्यक्षमता पर बुरा असर डाल रही है जो कंपनी हित में भी नहीं है क्योंकि यह मुद्दा डिप्लोमा इंजीनियर के सामाजिक सम्मान से भी जुड़ा हुआ है।”_*

*डेफि के महासचिव श्री नंद किशोर घोष बैराग्य ने कहा कि*

*_” निवर्तमान सरकार द्वारा इस मुद्दे को सही मानते हुए भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय ने पदनाम देने की अनुसंशा की थी।अभी तक पदनाम के मुद्दे के निराकरण नही हो पाने पर चुनाव बाद इस पर नई सरकार से इस बाबत अनुरोध किया जाएगा।



डेफि के सहायक महासचिव श्री संदीप कुमार ने बताया कि_”आज 7 वर्ष बीत जाने के बाद भी सेल में कार्यरत डिप्लोमाहोल्डर अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रहा है और निरंतर अपने परिश्रम से हरेक यूनिट में उत्पादन एवं उत्पादकता के क्षेत्र में बढ़ चढ़ कर योगदान कर रहा है। लेकिन अभी तक हमें जूनियर इंजीनियर पदनाम नही मिल पाना प्रबंधन के उदासीन रवैया को दिखाता है। अब सात वर्ष बीतने के बाद भी प्रबंधन को जल्द के जल्द इस्पात मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए अनुशंसा को लागू करना चाहिए।”_*

*डेफि के कोषाध्यक्ष श्री लब कुमार मन्ना ने इस मुद्दे पर कहा कि*
*_”डिप्लोमा अभियंताओं में इस मुद्दे पर नाराजगी है, डिप्लोमा अभियन्ताओं के पदनाम के साथ ही डीग्रेडेशन एक गंभीर मुद्दा है जिसे शीघ्र ही सुलझाना चाहिए।_*


*D.E.F.I के सचिव जनसम्पर्क श्री गौरव शर्मा ने बताया कि*

*_”दिनांक 1 मई 2017 मज़दूर दिवस के दिन DEFI के अथक प्रयासों के बाद सरकारी निदेशपत्र द्वारा इस्पात मंत्रालय ने सेल मैनेजमेंट को निर्देशित किया था कि अन्य  CPSE’S के तर्ज पर सेल में भी डिप्लोमा अभियंताओं को जूनियर इंजीनियर पदनाम दिया जाए तथा उनकी प्रमोशन पालिसी को सुधारा जाए।किन्तु 7 वर्ष बीतने के पश्चात भी अभी तक जूनियर इंजीनियर पदनाम सेल में लागू नही हो सका है।यह एक नॉन फाइनेंसियल मुद्दा है, जिस बाबत कई बार मैनेजमेंट के साथ सकारात्मक वार्तालाप होने के बाद भी इसे लागू नही किया गया है।इस बाबत डेफि पदनाम लागू करने को लगातार प्रयास कर रहा है।पूर्व में माननीय इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी से माननीय सांसद श्री एस एस अहलूवालिया जी की गरिमामयी उपस्थिति में इस मुद्दे को उठाया गया था जिस पर उन्होंने इसे गंभीरता से लिया था।पदनाम के साथ साथ सेल में डिप्लोमा अभियंताओं की प्रोमोशन पालिसी एक गंभीर चिंता का विषय है । S3 ग्रेड में जॉइन करने वाले डिप्लोमा अभियंता 16 वर्ष की अवधि के पश्चात अधिकारी वर्ग में प्रोन्नत होने हेतु योग्य हो पाते है जबकि अन्य संस्थानों में डिप्लोमा अभियंताओं को शीघ्र ही अधिकारी वर्ग में प्रोन्नत कर दिया जाता है।हम यह आशा करते है कि शीघ्र ही इस पदनाम को लागू किया जाएगा। तथापि डिप्लोमा अभियंताओं के लिए अन्य CPSE’S के तर्ज पर प्रमोशन पालिसी लायी जाएगी।_”*

*गौरतलब हो कि डेफि डिप्लोमा अभियंताओं के उत्थान हेतु लगातार प्रयास कर रहा है । पूर्व इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के कार्यकाल में यह निदेशपत्र जारी किया गया था। तत्पश्चात NRC एवं तदुपरांत सब कमिटी में भी इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है । पदनाम का मुद्दा डिप्लोमा अभियंताओं के सम्मान से जुड़ चुका है जिसके लिए कई बड़े आंदोलन भी किये जा चुके है।इसलिए डिप्लोमा अभियंता आक्रोशित है तथा शीघ्र ही इसका समाधान चाहते हैं।*

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