बहन की हत्या से पर्दा उठाने की आस लिए साइकिल से राजभवन रवाना हुआ भाई
उमा ने रफीक से की थी शादी, हत्या के बाद बच्चों के साथ रफीक गायब
बंगाल मिरर, दुर्गापुर : दो साल पहले बहन की हत्या हुई थी , बहन का पति अभी भी लापता है, दो भांजे-भांजी का सुराग नहीं मिला परिवार ने न्याय के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर प्रशासन के सभी स्तरों पर गुहार लगाई। न्याय की आस में मृतका के भाई प्रसेनजीत स्वर्णकार आज साइकिल चलाकर दुर्गापुर से राज्यपाल के पास जाने के लिए रवाना हुए। करीब दो साल पहले दुर्गापुर के कोकओवन थाना अंतर्गत अंगदपुर स्थित घर से पुलिस ने उमा खातून का सड़ा-गला शव बरामद किया था. घटना के एक दिन पहले से ही उसका पति फरार था। पड़ोसियों ने फ़ोन कर उमा के परिवार को इसकी खबर दी थी। प्रेम के कारण उमा ने अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ दुर्गापुर के रफीक आलम से शादी कर ली, उमा के दो बच्चे हैं, दोनों बच्चे नहीं मिल रहे हैं.




परिवार को शक है कि अंगदपुर इलाके में पड़ोसी और उनकी पत्नी को इस बारे में सब पता था, लेकिन पुलिस को सूचना देने के बाद दोनों को एक दो बार पुलिस द्वारा बुलाया गया और फिर कोकोवेन थाने की पुलिस ने कोई सार्थक पहल नहीं की। . उन पर दबाव डालने से सारी सच्चाई पता चल सकती थी, यहां तक कि पुलिस भी यह जानने में बहुत झिझक रही थी कि उमा का पति कहां है। परिवार ने न्याय के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखित गुहार लगाई, इसकी सूचना आसनसोल दुर्गापुर पुलिस से लेकर अनुमंडल प्रशासन से लेकर सभी जगहों को दी गयी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। आज उमा का पति रफीक आलम, जो अभी भी लापता है, परिवार के संदेह की सूची में है. परिवार को पैसे का लालच देकर पड़ोसी ने एफआई आर से अपना नाम हटाने की कोशिश की, लेकिन यह असहाय परिवार इस प्रलोभन में नहीं आया।
अंत में न्याय न मिलने पर दुर्गापुर के कोक ओवेन थाना क्षेत्र के एल.बी टाईप में अपने घर से उमा के भाई प्रसेनजीत स्वर्णकार अपनी बहन की हत्या के लिए न्याय मांगने के लिए साइकिल से कलकत्ता के राजभवन के लिए रवाना हुए। अपनी बहन के हत्यारे को सजा दिलाने और दोनों भांजे-भांजियों को ढूंढने की गुहार लेकर प्रसेनजित सभी दस्तावेज लेकर राजभवन के लिए रवाना हो गए।उमा के पिता अपनी बेटी के गम में ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित हैं, उनकी एक आंख की रोशनी भी चली गई है। न्याय की आस में आज मां के आंसू सूख गए, बेटी चली गई, अब बेटे पर तो कोई आंच नहीं आएगी? इस डर से पूरे परिवार की रातों की नींद उड़ गई।
एक डर अब भी है, क्या प्रसेनजीत साइकिल से राजभवन पहुंच पाएंगे? पुलिस की नाकामी छुपाने के लिए वो साइकिल बीच सड़क पर तो नहीं रोकी जाएगी हालाँकि, अपनी अदम्य इच्छाशक्ति के बल पर, वह अपनी बहन की हत्या के लिए न्याय की उम्मीद में सभी बाधाओं को पार करने और राज्यपाल तक पहुँचने की कोशिश कर रहा है