IISCO Officers’ Association के तीसरी बार अध्यक्ष निर्वाचित सुशील कुमार सुमन
एक विश्वास की जीत : सुमन
बंगाल मिरर, एस सिंह, बर्नपुर: IISCO Officers’ Association (IOA) के अध्यक्ष पद के लिए हुए हालिया चुनाव में एक बार फिर से सुशील कुमार सुमन ने अपनी जीत दर्ज करवाई है और लगातार तीसरी बार अध्यक्ष बने हैं। यह जीत सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं बल्कि उन सभी कर्मचारियों और समर्थकों की जीत है जिन्होंने विश्वास और आत्मविश्वास के साथ सुशील कुमार सुमन को अपना नेतृत्वकर्ता चुना।इस बार IOA चुनाव का परिदृश्य कुछ अलग था। दरअसल, महासचिव (GS) निशिकांत चौधरी और कोषाध्यक्ष (Treasurer) दुर्गेश कुमार पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुके थे। इसके कारण केवल अध्यक्ष पद के लिए ही चुनाव होना था।




परिणामस्वरूप यह चुनाव और भी चुनौतीपूर्ण और रोमांचक हो गया। एक ओर जहां सुशील कुमार सुमन का ट्रैक रिकॉर्ड और लोकप्रियता उनके पक्ष में था, वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने इस चुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी।विरोधियों की एकता और रणनीतिइस चुनाव को दिलचस्प बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई उन सभी विरोधी समूहों ने जो एकजुट होकर एक ही खेमे में आ गए थे। उनका लक्ष्य साफ था — सुशील कुमार सुमन को हर हाल में हराना। उन्होंने एक से एक रणनीति बनाई, कई जगहों पर भ्रम फैलाने की भी कोशिश की, और अफवाहों का भी सहारा लिया। लेकिन कहते हैं न, जब जनता का भरोसा आपके साथ होता है तो किसी भी साजिश की दीवार टिक नहीं पाती।
विजयी रथ पर सवार सुशील कुमार सुमनसुशील कुमार सुमन ने इस चुनाव में 486 में से 365 वोट हासिल कर भारी जीत दर्ज की। यह जीत सिर्फ आंकड़ों की जीत नहीं थी, यह जीत उस भरोसे की थी जो कर्मचारियों ने उनके नेतृत्व पर दिखाया था। यह जीत उस आत्मविश्वास की थी जो उनके पिछले कार्यकालों में दिखाए गए कार्यों के कारण विकसित हुआ था। यह जीत थी उस अपार समर्थन की, जो वर्षों से सुशील कुमार सुमन ने कर्मचारियों के साथ खड़े होकर कमाया था।
तीन बार अध्यक्ष बनने की यात्रा
सुशील कुमार सुमन का IOA में नेतृत्व का यह तीसरा कार्यकाल है। पहले दो कार्यकालों में उन्होंने Executives के हितों के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए। चाहे वह वेतन विसंगतियों को दूर करने का मुद्दा हो, कार्यस्थल पर सुविधाओं को बढ़ाना हो, मेडिकल सुविधाओं का विस्तार करना हो, या पारदर्शिता के साथ संगठन और प्रबंधन के बीच सेतु बनाना — हर जगह उन्होंने ईमानदारी और लगन से अपनी भूमिका निभाई। यही कारण था कि कर्मचारियों ने एक बार फिर से उन्हें भारी बहुमत के साथ अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी।
जीत के बाद का संदेश
अपनी जीत के बाद सुशील कुमार सुमन ने कहा — “यह सिर्फ मेरी जीत नहीं है, बल्कि यह हमारे समर्थकों के आत्मविश्वास और भरोसे की जीत है।” यह वाक्य केवल एक औपचारिक बयान नहीं था, बल्कि उनके नेतृत्व के स्वभाव को दर्शाता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि IOA की शक्ति उसके हर एक सदस्य के विश्वास और समर्पण में निहित है।उन्होंने आगे कहा — “इस भारी जीत के बाद हम और भी जबरदस्त काम करने की कोशिश करेंगे।” यह संकल्प बताता है कि वे न केवल अपनी जीत को जश्न के रूप में देख रहे हैं बल्कि इसे एक नई जिम्मेदारी मानते हुए भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार भी हैं।
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
अब जबकि सुशील कुमार सुमन ने तीसरी बार अध्यक्ष पद संभाला है, उनके सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी खड़ी हैं। Executives के हितों की रक्षा, संगठन की मजबूती, प्रबंधन के साथ स्वस्थ संवाद, और पारदर्शिता को बनाए रखते हुए संगठनात्मक नीतियों का विकास — ये सब आने वाले कार्यकाल की प्राथमिकताएँ होंगी।इसके साथ ही, बदलते औद्योगिक माहौल, नई तकनीकों का समावेश, Executives के कल्याण के लिए नई योजनाओं का निर्माण, और युवा अधिकारियों की भागीदारी को और सशक्त बनाना — ये भी ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर उन्हें काम करना होगा।
नेतृत्व की खासियत
सुशील कुमार सुमन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्होंने हमेशा हर निर्णय में Executives की राय को महत्व दिया है। उन्होंने समस्याओं को सिर्फ कागजों पर नहीं बल्कि जमीनी हकीकत के अनुसार हल करने की कोशिश की है। यही वजह है कि वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद साथी के रूप में देखे जाते हैं।
धन्यवाद का संदेश
अपनी जीत के बाद सुशील कुमार सुमन ने अपने समर्थकों के लिए एक संदेश दिया:“अपने सभी समर्थकों को मैं तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ। आपके भरोसे और आशीर्वाद ने इस जीत को संभव बनाया है। हम मिलकर और भी शानदार काम करेंगे और IOA को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाने की कोशिश करेंगे।”उनके इस संदेश में सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि दिल की गहराई से निकला धन्यवाद भी झलकता है। यही विनम्रता और सादगी उनके नेतृत्व को खास बनाती है।IISCO Officers’ Association के चुनाव परिणाम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सच्चा नेतृत्व वही है जो विश्वास की नींव पर खड़ा होता है।
सुशील कुमार सुमन की यह जीत सिर्फ आंकड़ों की जीत नहीं, बल्कि संगठन के हर सदस्य के विश्वास और भरोसे की जीत है।आज के समय में जब अक्सर राजनीति में वादों की भरमार होती है, तब सुशील कुमार सुमन का यह नेतृत्व इस बात की मिसाल पेश करता है कि ईमानदारी, परिश्रम और पारदर्शिता से भी जीत हासिल की जा सकती है।हम उम्मीद करते हैं कि वे अपने तीसरे कार्यकाल में IOA को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँगे और हर सदस्य के हित में ठोस काम करेंगे।