साहित्य

हमारी पोतियाँ

प्रकाश दादाजी – विभा दादीजी
आसनसोल

Prakash burnwal
प्रकाश चंद्र बरनवाल

पोती की प्रतिभा से कुल का, दीप प्रज्ज्वलित होगा।
मुस्काती, खिलती कलियों से, कण – कण भाषित होगा।।

गूँज उठी है किलकारी से, सपनों की फुलवारी।
मुकुलित कलियों के खिलते ही, सुरभित होती क्यारी।।

रोशन होगा नाम जगत में, परियाँ हैं ये सारी।
कुल का गौरव गान करेगी, पोती राजदुलारी।।

बेटा – बेटी की तुलना कर, मन छोटा मत करना।
संस्कारित कर दिव्य ज्योति से, घर आलोकित रखना।।

मान्या, नव्या, यास्ना, सान्वी, सब कुल की ललनाएँ।
इनके प्रतिभासित मुखड़े से, झलक रहीं उपमाएँ।।

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