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Asansol News : डीएम ने पुनर्वास योजना के आवासों का किया निरीक्षण, जल्द कार्य पूरा करने का निर्देश

निर्देश देते डीएम पूर्णेंदु माजी

बंगाल मिरर, धनंजय तिवारी, जामुड़िया:कोयलांचल में धसान प्रभावित लोगों के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे  पुनर्वास योजना के तहत जामुड़िया प्रखंड के विजयनगर अंचल में बनाये जा रहे घरों का शनिवार को पश्चिम बर्दवान जिला शासक पूर्णेन्दु माजी ने निरीक्षण किया.इस दौरान कार्य पूर्ण करने की गति में विलम्ब होने के कारण घरों के निर्माण करने वाली कम्पनी सिम्पलेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के साइट इंचार्ज संदीप सेठ को जिला शासक द्वारा जमकर फटकार भी लगाया गया.मौके पर जिला शासक सहित एसडीएम देवजीत गांगुली, जामुड़िया के बीडीओ कृशानु राय एवं हाउसिंग विभाग के कर्मी उपस्थित थे.जिला शासक पूर्णेन्दु माजी ने कहा कि अंचल के प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए विजयनगर में उनके रहने के लिए घरों का निर्माण किया जा रहा है परंतु लॉकडाउन चलने के कारण निर्माण सामग्री की आपूर्ति सही समय पर नहीं होने के कारण निर्धारित समय पर कार्य पूरा करने में कुछ समस्या आ रही थी.प्रशाशन की ओर से निर्माण कंपनी को हर संभव सहायता मुहैया कराने का आश्वासन दिया गया है.उन्होंने कहा कि नवम्बर माह तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.ज्ञात हो कि बीते दिन राज्य की मुख्यमंत्री बनर्जी द्वारा प्रशासनिक वर्चुअल बैठक में जिलाशाश्क को पुनर्वास को लेकर स्थिति की रिपोर्ट मांगी थी.

रानीगंज धंसान प्रभावित इलाके पर बसे लोगों के पुनर्वास के लिए वर्षों पहले बना महत्वाकांक्षी मास्टर प्लान के तहत 2629 करोड़ रुपये से 139 धंसान प्रभावित क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को पुर्नवास किया जाना है।

वर्ष 2006 में रानीगंज कोलफील्ड के 139 भू-धंसान क्षेत्रों में निवास करनेवाले 33196 परिवारों को पुनर्वासन के लिए चिन्हित किया गया था। वर्ष 2009 में कार्य की जिम्मेदारी आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण अर्थात अड्डा को सौंपते हुए उसे नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया। मई 2010 में रांची की जेवियर नामक संस्था को भू-धंसान प्रभावित क्षेत्रों के डेमोग्राफिक सर्वे का काम सौंपा गया। जिसे दिसंबर 2011 तक सर्वे कार्य पूरा कर लेना था। अड्डा सूत्रों के अनुसार सभी भू धंसान प्रभावित इलाके का डेमोग्राफिक सर्वे का काम एक साथ करने के निर्णय से सर्वे पूरा होने में देर हुई। भू धंसान क्षेत्रों की संख्या 139 से बढ़कर 141 और प्रभावित परिवारों की संख्या 40 हजार से अधिक हो चुकी है, यानि पुर्नवास में जितनी देरी होगी पुर्नवास के लिए परिवारों की संख्या बढ़ने के साथ ही परेशानी बढ़ेगी। वहीं अब यह काम अड्डा के हाथों से लेकर हाउसिंग विभाग को दे दिया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार पुनर्वास योजना पर विशेष जोर देती हैं।

रानीगंज कोयलांचल पुनर्वास से जुड़ी जानकारियों के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

http://addaonline.in/ecl-rehablitation/about-rahabilitation/

https://cag.gov.in/sites/default/files/audit_report_files/Chapter_8_Rehabilitation_and_Resettlement_for_Mine_Fire_of_Report_No_12_of_2019_Assessment_of_Environmental_Impact_due_to_Mining_Activities_and_its_Mitigation_in_Coal_India_Limited_.pdf

https://coal.nic.in/sites/upload_files/coal/files/coalupload/nchap9.pdf

पुनर्वास परियोजना की परिकल्पना क्यों और कैसे ?

 कोलफिल्ड एक लम्बे अर्से से अग्नि एवं भू-धसान की समस्या से जूझ रहा है एवं इस समस्या से निदान पाने के लिए अनेकानेक प्रयास भी हुए है। इस समस्या से निपटने के लिए वर्ष 1922, 1937, 1953 एवं वर्ष 1957 में विभिन्न समितियाँ गठित हुई किन्तु वे प्रभावी साबित नही हो सकी। वर्ष 1957 में BARAKAR SUBSIDENCE COMMITTEE एवं वर्ष 1976 में श्री एस0 पी0 गुगनानी संयुक्त सचिव, कोयला मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में पुनः समितियाँ गठित की गई।दिसम्बर 1996 में भारत सरकार ने सचिव, कोयला मंत्रालय के अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर इन समस्याओं का समीक्षा कर मास्टर प्लान तैयार करवाने का निर्णय लिया, जो मार्च 1999 मं तैयार हुआ और मई 1999 में बोर्ड द्वारा पारित हुआ। कालांतर में स्व0 हराधन राय, भूतपूर्व माननीय सांसद द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय में वर्ष 1997 मे समर्पित जनहित याचिका के कारण एक कार्य योजना बनाई गई जो मास्टर प्लान , 1999 में समपिर्तथी। बाद में माननीय उच्चतम न्यायालयके निर्देशानुसार खान सुरक्षा महानिदेशक द्वारा अगस्त 2005 में एक प्रतिवेदन समर्पित किया गया। इस प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक पद्धति सामने नही आ सकी है जिससे इस प्रभावित क्षेत्र को शत-प्रतिशत अग्नि एवं भू-धसान से बचाया जा सके। वर्तमान मास्टर प्लान दिसंबर 1996 में सचिव, कोयला मंत्रालयभारत सरकार की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंसा के आलोक में ब्डच्क्प्स् द्वारा तैयार किया गया है एवं मार्च 2008 तक अद्यदित है। मास्टर प्लान की स्वीकृति भारत सरकार, कोयला मंत्रालय, नई दिल्ली के पत्रांक 22020/1/2005 CRC दिनांक 12 अगस्त, 2009 द्वारा संसूचित है एवं इसमें विहित समस्त प्रावधानों की मोनिटरिंग के लिए भारत सरकार, कोयला मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त केंन्द्रीय समिति (High powered central committee) भी गठित है जिसमें खान सुरक्षा महानिदेशक के अतिरिक्त अन्य कई तकनीकी/गैर तकनीकी पदाधिकारीगण सम्मिलित है। इसका स्थायी निदान यही है कि इस क्षेत्र को खाली कराकर प्रभावित परिवारों को अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित कराया जाय। खान सुरक्षा महानिदेशक के उपर्युक्त सुझाव को मूल-मंत्र मानकर भारत सरकार/राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि कोलफिल्ड के अग्नि एवं भू-धसान से प्रभावित गैर Ecl परिवारों को अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर बसाया जाये एवं उसी स्थल पर इन्हे जीवनोपयोगी सभी सुविधायें भी उपलब्ध करायी जायें। अग्नि एवं भू-धसानसे प्रभावित परिवारों को छोटे-छोटे टुकड़ों में न बसाकर उन्हें मुलभूत सुविधा से सम्पन्न Satellite Township में बसाया जाए। मास्टर प्लान में इसके लिए कुल बारह वर्षो की समय सीमा निर्धारित की गई है जिसमें दो वर्ष प्राक्क्-क्रियान्वयन गतिविधि ( Pre-implementation Activites)के लिए है। इन दो वर्षों में ही आर्थिक एवं सामाजिक सर्वेक्षण कार्य पूरा करना है।

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