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Covishield Vaccine लेने से पहले यह खबर जरूर पढ़ें

अभी दो डोज के बीच 4-8 हफ्तों का था, अंतराल 12 से 16 हफ्ते पर लगेगी Covishield Vaccine

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) के दूसरे डोज के लिए समय अंतराल 12 से 16 हफ्ते रखने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया गया है। ऐसे में जिन लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक ली है, अब ये 12 से 16 हफ्ते के अंतराल पर वैक्सीन की दूसरी डोज ले सकेंगे। कोविड पर पैनल- राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाएं अपने लिए वैक्सीन चुन सकती हैं और गर्भवती महिलाएं डिलीवरी के बाद कभी भी वैक्सीन लगवा सकती हैं।

Covishield Vaccine

अभी दो डोज के बीच 4-8 हफ्तों का था अंतराल 12 से 16 हफ्ते पर लगेगी कोविशील्ड (Covishield Vaccine) की दूसरी डोज, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी मंजूरी आपको बता दें, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल की अध्यक्षता में कोविड-19 वैक्सीन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) ने सिफारिश की थी कि मौजूदा 6-8 सप्ताह के दो कोविशील्ड वैक्सीन के खुराक के बीच की अविधि को 12 से 16 सप्ताह तक बढ़ाया जाना चाहिए। हालांकि, इस दौरान को-वैक्सीन के मामले में इस तरह के कोई बदलाव नहीं किए गए। अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी के बाद इन सिफारिशों को लागू कर दिया जाएगा। अभी वर्तमान में दोनों डोज के बीच अंतराल 4-8 हफ्तों का है।

कई राज्य कर चुके हैं वैश्विक निविदा आमंत्रित

यह अनुशंसा ऐसे समय में की गई है जब कई राज्यों ने टीकों की कमी की बात कही है। घरेलू स्तर पर टीकों की आपूर्ति की कमी और बढ़ती मांग के बीच दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना समेत कई राज्यों ने कोरोना वायरस रोधी टीकों की खरीद के लिए वैश्विक निविदा आमंत्रित करने का फैसला किया है।

सिफारिश पर ऐसे हुआ फैसला

एनईजीवीएसी की सिफारिशों पर आज टीकाकरण के लिए एक सलाहकार समिति एनटीएजीआई द्वारा बैठक में विचार-विमर्श किया गया। विशेषज्ञों ने खुराक के अंतराल को बढ़ाने या इसे छोटा करने पर विचार किया। फिर मंजूरी के लिए अंतिम सिफारिशें सरकार को भेजी गई।

कोरोना से उभर चुके लोगों को 6 महीने बाद लगे टीका

बुधवार को हुई बैठक में, एनईजीवीएसी ने कोविड -19 से संक्रमित लोगों के लिए (Covishield Vaccine) पहली खुराक के लिए प्रतीक्षा अवधि को बढ़ाने का सुझाव दिया।एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार “यह एंटीबॉडी प्रतिक्रिया बढ़ाता है और इसलिए यह सिफारिश की गई है कि जिन लोगों को कोविड हो चुका है, उन्हें 6 महीने के बाद टीके लगाए जाएं। वर्तमान में, कोविड टेस्ट नेगेटिव आने के 14 दिनों के बाद टीका लगाया जाता है”।

प्लाज्मा थेरपी और अन्य गंभीर बीमारी वाले कब लगवा सकते हैं टीका?

विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया था कि जिन लोगों की उपचार के दौरान प्लाज्मा थेरपी हुई है, उन्हें कम से कम 12 सप्ताह के बाद टीका लगाया जाना चाहिए।

एनईजीवीएसी ने यह भी सुझाव दिया था कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य गंभीर बीमारी के कारण बीमार हो जाता है, तो उसे 4-8 सप्ताह के बाद ही टीका लगाया जाना चाहिए।

कोविशील्ड वैक्सीन के 2 डोज के बीच अंतराल दूसरी बार बढ़ाया गया

खास बात है कि कोविशील्ड (Covishield Vaccine) के दो डोज के बीच गैप को लेकर लंबे समय से बहस जारी है। तीन महीनों में यह दूसरी बार है, जब इस वैक्सीन के डोज के बीच अंतराल को बढ़ाने की सिफारिश की गई है। मार्च में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अंतराल 28 दिनों से 6-8 हफ्तों तक करने के लिए कहा गया था। अब यह अंतराल 6-8 हफ्तों से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया गया है।

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भारत में बनाए गए वेंटिलेटरों ने कोविड प्रबंधन में निभाई बड़ी भूमिका

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कहा है कि भारत में बनाए गए वेंटिलेटरों ने प्रभावी कोविड प्रबंधन के लिए अस्‍पतालों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने यह भी बताया कि पिछले वर्ष से ही केंद्र सरकार अस्पतालों में कोविड रोगियों की देखभाल में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों को बढ़ावा दे रही है।

मीडिया को नहीं है पूरी जानकारी: स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय

मंत्रालय ने बताया कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि निर्माता द्वारा मरम्‍मत किए जाने के बावजूद सरकार द्वारा जीजीएस मेडिकल कॉलेज और अस्‍पताल फरीदकोट पंजाब में भेजे गए वेंटिलेटर तकनीकी कारणों से काम नहीं कर रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस विषय में पूरी जानकारी नहीं ली गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया स्पष्टीकरण

स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्‍पष्‍ट किया है कि भारत इलेक्‍ट्रोनिक लिमिटेड और एजीवीए द्वारा क्रमशः 88 और 5 वेंटिलेटरों की आपूर्ति की गई थी। इन वेंटिलेटरों को अस्‍पताल द्वारा स्‍वीकार्य प्रमाणपत्र दिया गया था। वहीं भारत इलेक्‍ट्रोनिक लिमिटेड ने जानकारी दी है कि जीजीएस अस्‍पताल को भेजे गए ज्यादातर वेंटिलेटर दोषपूर्ण नहीं हैं। बता दें, हाल ही में कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि एजी वीए द्वारा जीजीएस मेडिकल कॉलेज और अस्‍पताल को भेज गए अस्‍सी में से 71 वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे हैं।

‘मेड इन इंडिया’ वेंटिलेटर्स ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन के तहत हैं महत्वपूर्ण

ज्ञात हो, देश भर में कोविड-19 के मामलों से निपटने के लिए बुनि‍यादी सुविधाओं में वृद्धि करने हेतु पिछले वर्ष मई में पीएम केयर्स फंड से लगभग 2,000 करोड़ रुपये की लागत से 50,000 ‘मेड इन इंडिया’ वेंटिलेटर्स की खरीद का निर्णय लिया था। ये फैसला कोविड अस्पतालों में वेंटिलेटरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया था। यह निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन के तहत लिया गया था।

राज्‍यों से मांगी गई है वेंटिलेटरों के बारे में जानकारी

इसके अलावा केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य सचिव ने यह भी बताया है कि 11अप्रैल को राज्‍यों को भेजे गए पत्र में उन पचास वेंटिलेटरों के बारे में जानकारी मांगी गई है, जो पिछले चार महीने से नहीं लगाए गए हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि कोविड महामारी के दौरान भारत इलेक्‍ट्रोनिक लिमिटेड राज्‍यों को तकनीकी सहायता उपलब्‍ध कराने के लिए तैयार रहेगी।(Covishield Vaccine)

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