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5 राज्यों में ‘यास’ का खतरा, बंगाल के कुछ हिस्सों में बारिश शुरू

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता :  चक्रवाती तूफान ‘ताउते’ के बाद अब पांच राज्यों पर (UPCOMING CYCLONE IN INDIA ) एक और तूफान ‘यास’ (CYCLONE JASH) का खतरा मंडराने लगा है। मौसम विभाग के अनुसार आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अंडमान निकोबार द्वीप समूह को इस तूफान से सावधान रहने की जरूरत है। भारतीय तटरक्षक बल ने इस खतरे को देखते हुए तटों को खाली कराने जैसे एहतियाती उपाय पहले से ही करने शुरू कर दिए हैं।

UPCOMING CYCLONE IN INDIAओडिशा सरकार ने 30 में से 14 जिलों को भेजा अलर्ट

मौसम विभाग के 26 मई को ‘यास’ चक्रवात (CYCLONE JASH) के ओडिशा व पश्चिम बंगाल के तट से गुजरने की आशंका जताने के मद्देनजर ओडिशा सरकार ने 30 में से 14 जिलों को सतर्क कर दिया है। इसके साथ-साथ राज्य सरकार ने भारतीय नौसेना एवं भारतीय तटरक्षक बल से इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया है।

बंगाल की खाड़ी में ‘यास’ ले सकता है तूफान का रूप

मौसम विभाग के अनुसार यह बंगाल की खाड़ी में तूफान का रूप ले सकता है। आज उत्तरी अंडमान सागर और आसपास के पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। केंद्र ने आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों से चक्रवाती तूफान ‘यास’ को लेकर सतर्क रहने के साथ ये सुनिश्चित करने को कहा है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर आवश्यक दवाओं तथा संसाधनों का भंडार रखा जाए ताकि यास तूफान के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

UPCOMING CYCLONE IN INDIA ओडिशा और पश्चिम बंगाल में शुक्रवार शाम से ही हो रही बारिश

चक्रवात के प्रभाव से ओडिशा में शुक्रवार शाम से ही बारिश हो रही है। अब इसका असर पश्चिम बंगाल पर भी दिख रहा है। शनिवार सुबह से ही राज्य के अधिकतर हिस्सों में बारिश की शुरुआत हो गई है। राजधानी कोलकाता के अलावा हावड़ा, हुगली, उत्तर और दक्षिण 24 परगना तथा दक्षिण दिनाजपुर इलाके में बारिश हुई है। इसके साथ ही 30- 40 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं।

राजधानी कोलकाता का न्यूनतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज

मौसम विभाग ने बताया है कि शनिवार को राजधानी कोलकाता का न्यूनतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है जो सामान्य से तीन डिग्री ज्यादा है, जबकि अधिकतम तापमान 36.7 डिग्री सेल्सियस है, जो सामान्य से एक डिग्री ज्यादा है। अधिकतम आद्रता 89 फीसदी और न्यूनतम 37 फीसदी रिकॉर्ड की गई है।

24 मई को ‘यास’ के बनने की संभावना

वहीं, मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि पूर्वी मध्य और उससे सटे उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी के निचले स्तरों पर चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। यह अगले 24 घंटों में उसी क्षेत्र में बनने वाले निम्न दबाव के क्षेत्र की प्रस्तावना है। 23 मई को एक डिप्रेशन और 24 मई को संभावित चक्रवात ‘यास’ (UPCOMING CYCLONE IN INDIA) बनने की उम्मीद है। पिछले चक्रवात ‘ताउते’ ने एक लंबी समुद्री यात्रा तय की थी और इसलिए यह एक अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया। ओमान द्वारा नामित तूफान ‘यास’ जब 24 मई को विकसित होगा, तो समुद्र तट से पहले मुश्किल से 500-600 किमी का समुद्री विस्तार होगा। 25 मई की रात या 26 मई की सुबह तूफान के उत्तर पश्चिम की ओर पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओडिशा तट की ओर बढ़ने की उम्मीद है।

150 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की आशंका

मौसम विभाग का कहना है कि चक्रवात के प्रभाव से पूरे राज्य में बारिश हो सकती है। उल्लेखनीय है कि 26 मई को चक्रवात ‘यास’ पश्चिम बंगाल के समुद्र तट पर दस्तक दे सकता है। इसके साथ ही 150 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की आशंका है, जो भारी जानमाल का नुकसान कर सकती हैं। इसलिए सतर्क राज्य प्रशासन ने पहले से ही सभी जिलाधिकारियों को चिट्ठी लिखी है और आपदा प्रबंधन कर्मियों की संख्या बढ़ाकर दोगुनी से अधिक कर दी गई है।

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‘अम्फान’ की तरह तेज हो सकता है UPCOMING CYCLONE IN INDIA‘यास’

बताया गया है कि ‘यास’ बीते साल आए तूफान ‘अम्फान’ की तरह तेज हो सकता है। आईएमडी में चक्रवातों पर नजर रखने वाली सुनीता देवी के मुताबिक हम ‘अम्फान’ जैसी तीव्रता से इनकार नहीं कर सकते। अच्छी बात यह है कि अभी के मॉडल दिखा रहे हैं कि सिस्टम समुद्र के ऊपर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। समुद्र के ऊपर इसका समय कम होने पर इसकी तीव्रता प्रतिबंधित हो जाएगी। 

आखिर क्यों आते हैं चक्रवाती तूफान ?

तूफान या चक्रवात (UPCOMING CYCLONE IN INDIA ) की उत्पत्ति तब होती है, जब समुद्री जल का तापमान 79 डिग्री फारेनहाइट यानि 26.1 डिग्री सेल्सियस से बढ़ जाता है। जैसे-जैसे गर्म जल वाष्प में बदलता है और ऊपर वातावरण में पहुंचता है, यह ठंडी हवा से मिलकर प्रतिक्रिया करता है और तूफान के रूप में सामने आता है। उच्च तापमान से ऊर्जा का स्तर बढ़ता है, जो आखिर में हवाओं की रफ्तार, बारिश और अन्य कारकों को प्रभावित करता है। जब तापमान बढ़ता है तो वातावरण में मॉइश्चर (नमी) बढ़ जाता है। हवा में नमी अधिक होने से जब वो कम या ज्यादा तापमान वाले क्षेत्रों में पहुंचती है तो अत्यधिक शक्तिशाली सिस्टम बन जाता है, जिससे बिजली गिरना, भारी बरसात, ओलावृष्टि या अत्यधिक बर्फ गिरने की स्थिति बन जाती है। (इनपुट-हिंदुस्थान समाचार)  

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