RANIGANJ-JAMURIA

चंद सफेदपोशों की मदद से भू माफिया रानीगंज को उजाड़ रहे

बंगाल मिरर, रानीगंज: रानीगंज  राज्य के प्राचीन शहरों में से है। रानीगंज का भौगोलिक, ऐतिहासिक, आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से अपनी एक अलग ही पहचान  है। परन्तु इन दिनों भूमाफियाओं का आतंक इस शहर में कायम हो गया है। कुछ सफेदपोश लोगों से सांठगांठ कर भू माफिया शहर का पर्यावरण संतुलन बिगाड़ रहे हैं। तालाबाों की भराई के बाद अब  पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।  जो बेहद ही दुखद है और चिंताजनक  है। रानीगंज शहर पहले से ही प्रदुषण, अवैध उत्खनन की पीड़ा झेल रहा है और उस पर रानीगंज शहर की बची-कुची प्राकृतिक हरियाली को भी उजाड़ने की कोशिश होने लगे तो आप समझ सकते है कि शहरवासियों की पीड़ा क्या होगी ?

लाचार और बेबश शहरवासी केवलमात्र कोसने को छोड़कर कुछ भी कर पाने में असमर्थ महसूस करते है। सबसे आश्चर्य तो तब होता है जब शहर के शुभचिंतक होने का दावा करने वाले लोग पर्दे के पीछे से इस साजिश को मद्द पहुंचाते है पहुंचाने की कोशिश करते नजर आते है। पर्यावरण दिवस पर पौधा लगाते, फोटो खींचाने वाले लोग भी आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करते नजर आते है। या यूं कहे कि बहुमंजिला फ्लैट निर्माण के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए मद्द करते है। रानीगंज शहर की लाइफ-लाइन माने जाने वाली एनएसबी रोड की सुंदरता और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए आसनसोल नगर निगम और रानीगंज की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने पेड़ लगाने का प्रसन्नापूर्ण कार्य किया है।

वहीं दूसरी ओर पेड़ काटे गए और आगे भी शहर की बेहत्तम एवं प्राचीन वृक्षो में गिने जाने वाले पेड़ो को भी काटने की साजिश रची जा रही है। सूत्रों का कहना है कि बहुमंजिला निर्माण के लिए पहले तालाब की भराई, वेस्टेड लैण्ड पर कब्जा और इस पर संतुष्टी नहीं हुयी तो प्राचीन पेड़ भी काटने के लिए चाल चले जा रहे है। आश्चर्य तो तब और भी होने लगता है जब पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की साजिश को मंजिल तक पहुंचाने के लिए खरीद-फरोख्त पर भी उतारु हो जाते है और पैसे बांटने में भी पीछे नहीं हटते। संस्थाओं के पदाधिकारी बनकर आर्थिक लाभ के उद्देश्य से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना कहां तक उचित और नैतिक है, यह तो रानीगंज शहर की आम जनता ही बेहतर तरीके से जवाब दे सकती है।

रानीगंज शहर की लाइफ-लाइन एनएसबी रोड पंजाबी मोड़ से लेकर रेलवे स्टेशन तक लगभग 4 किलोमीटर की दूरी है और केवलमात्र अमृतकुंज आश्रम के समक्ष ही हरियाली है। जहां पर आप गर्मी-बरसात सभी समय खड़े होकर कुछ पल के लिए आपने आप को बचा सकते है और इस हरियाली के लिए अमृतकुंज आश्रम ने लगभग 8 साल पहले वृद्ध लगाए थे। जिसका लाभ हर राहगीर को मिलता है। इसके अलावा रानीगंज एनएसबी रोड के दोनो किनारो पर बहुत कम वृक्ष ही बचे है। जहां पर आप खड़ा होकर आपने आप को कुछ पल के लिए गर्मी-बरसात से बचा सकते है। फ्लैट निर्माणकर्ता दीपक जालान से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमलोगो ने पेड़ लगाने की कई योजना ले रखी है और पेड़ लगाने वाले लोगो को मद्द भी करते है। वहीं इस अंचल के जाने-माने बिल्डिर्स ओम प्रकाश भुवालका का कहना है कि फ्लैट निर्माण के लिए 20 प्रतिशत हिरयाली का होना आवश्यक है। आप जहां भी बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है उसका 20 प्रतिशत हिस्सा हरियाली के रुप में डेवलाॅप करना चाहिए। हमारी हमेशा कोशिश रहना चाहिए कि वृक्ष को न काटे और काटने से पूर्व वृक्ष अवश्य लगाए।

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