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West Bengal “रश्मि ग्रुप ऑफ कंपनीज” के 3 स्थानों पर ED तलाशी अभियान

बंगाल मिरर, एस सिंह : प्रवर्तन निदेशालय पीएमएलए 2002 के तहत लगातार कार्रवाई कर रहा है। आज पश्चिम बंगाल में रश्मि ग्रुप आफ कंपनीज के तीन ठिकानों पर ईडी ने तलाशी अभियान चलाया। ईडी द्वारा ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है। ईडी ने पीएमएलए, 2002 के तहत 13.07.2022 को पश्चिम बंगाल में 3 स्थानों पर “रश्मि ग्रुप ऑफ कंपनीज” के मामले में एक तलाशी अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप रुपये के शेष वाले बैंक खातों को डेबिट फ्रीज कर दिया गया, 64.97 करोड़ और नकद रुपये 1.01 करोड़।

PMLA के अंतर्गत आने वाले अपराध

इस अधिनियम की अनुसूची के भाग A, भाग B और भाग C में अपराधों का उल्लेख किया गया है-

भाग A में निम्नलिखित अधिनियमों के अंतर्गत आने वाले अपराध शामिल हैं:

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code)

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act)

नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम (Narcotics Drugs and Psychotropic Substances Act)

पुरावशेष और कला कोष अधिनियम (Antiquities and Art Treasures Act)

ट्रेडमार्क अधिनियम (Trademark Act)

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act)

कॉपीराइट अधिनियम (Copyright Act)

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act)

भाग B में वे अपराध शामिल हैं जिनका उल्लेख भाग A में है लेकिन वे अपराध एक करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य के हैं।

भाग C में ट्रांस-बॉर्डर अपराध शामिल हैं।

PMLA के तहत दंड का प्रावधान

मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ विभिन्न कार्रवाइयाँ शुरू की जा सकती है, जैसे; अपराध के माध्यम से अर्जित की गई संपत्ति और रिकॉर्ड को आदि को जब्त करना। धन शोधन के अपराध के लिए: कम से कम 3 वर्ष का कठोर कारावास, जिसे 7 वर्ष टीके बढ़ाया जा सकता है, साथ में जुर्माना भी यदि धन शोधन के अपराध के साथ-साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हैं तो जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा हो सकती है।

मनी लॉन्ड्रिंग क्या होता है?

मनी लॉन्ड्रिंग से तात्पर्य अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में परिवर्तित करना है।

मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से प्राप्त धनराशि को छुपाने का एक तरीका होता है। मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से धन ऐसे कामों या निवेश में लगाया जाता है कि जाँच करने वाली एजेंसियों को भी धन के मुख्य स्रोत का पता लगाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है, जो व्यक्ति इस प्रकार के धन की हेरा-फेरी करता है, उसे ‘‘लाउन्डर’’ (The Launder) कहा जाता हैं विदित हो कि पैसे की लॉन्डरिंग प्रक्रिया में तीन चरण शामिल होते हैं-

प्लेसमेंट (Placement)

लेयरिंग (Layering)

एकीकरण (Integration)

पहले चरण का संबंध नगदी के बाजार में आने से होता है। इसमें लाउन्डर (The launderer) अवैध तरीके से कमाए गए धन को वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों या अन्य प्रकार के औपचारिक या अनौपचारिक वित्तीय संस्थानों में नगद रूप से जमा करता है।

‘‘मनी लॉन्ड्रिग’’ में दूसरा चरण ‘लेयरिंग’ अर्थात् धन छुपाने से सम्बन्धित होता है। इसमें लाउन्डर लेखा किताब (Book of accounting) में गड़बड़ी करके और अन्य संदिग्ध लेन-देन करके अपनी असली आय को छुपा लेता है। लाउन्डर, धनराशि को निवेश के साधनों जैसे कि बांड, स्टॉक, और ट्रैवेलर्स चेक या विदेशों में अपने बैंक खातों में जमा करा देता है। यह खाता अक्सर ऐसे देशों की बैंकों में खोला जाता है जोकि मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी अभियानों में सहयोग नहीं करते हैं।

एकीकरण मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया का अंतिम चरण होता है। जिसके माध्यम से बाहर भेजा गया पैसा या देश में खपाया गया पैसा वापस लाउन्डरर के पास वैध धन के रूप में आ जाता है। ऐसा धन अक्सर किसी कंपनी में निवेश, अचल संपत्ति खरीदने, लक्जरी सामान खरीदने आदि के माध्यम से वापस आता है।

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