RANIGANJ-JAMURIA

Raniganj Master Plan : पुनर्वास की गति बढ़ाने के लिए कोयला मंत्रालय से 615 करोड़ मांगे, मुख्य सचिव ने लिखा पत्र

रानीगंज कोयलांचल में 30 हजार परिवारों का किया जाना है पुनर्वास, 10 हजार आवास बनकर तैयार

बंगाल मिरर, देव भट्टाचार्या, आसनसोल : ( Raniganj Master Plan ) : पुनर्वास की गति बढ़ाने के लिए कोयला मंत्रालय से 615 करोड़ मांगे, मुख्य सचिव ने लिखा पत्र रानीगंज कोयलांचल के 141 भू धंसान प्रभावित इलाके के लोगों के पुनर्वासन के लिए आसनसोल विकास प्राधिकरण ने 651 करोड़ रुपये की मांग केंद्रीय कोयला मंत्रालय से की है। इसके पहले 581 करोड़ 14 लाख से इलाके के तीन जगहों पर पुनर्वासन के लिए फ्लैट निर्माण का काम शुरू किया जा चुका है। कुछ जगहों पर तैयार भी हो गए हैं। इस प्रोजेक्ट में कुल 2600 करोड़ रुपये के खर्च की बात शुरुआती दौर में की गई थी। मालूम हो कि पुनर्वासन इस इलाके के लिए सबसे बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो गई है। इस मांग के बाद थोड़ी उम्मीद तो जगी है कि कुछ और परिवार का पुनर्वासन होगा। जिले के करीब 41 हजार परिवार को पुनर्वासित करने का लक्ष्य रखा गया है। यह सभी परिवार भूधंसान से प्रभावित हैं।

राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कई बार प्रशासनिक बैठकों में रानीगंज क्षेत्र में धंसान, गैस और भूमिगत आग से प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर चिंता जता चुकी हैं। उन्होंने मुख्य सचिव से शिकायत भी किया कि कोल इंडिया या कोयला मंत्रालय उन्हें पुनर्वास योजना के लिए वह पैसा नहीं दे रहा जिसके वे हकदार हैं। साथ ही जमीन के मामले में उचित एनओसी भी नहीं देते जिसके कारण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। लोग खतरे में जीवनयापन को विवश हैं। पुनर्वास योजना के तहत घरों के लिए प्रारंभ में 615 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। केंद्र वह पैसा भी नहीं दे रहा है। इससे 10 हजार परिवारों के पुनर्वास के लिए आवास निर्माण व अधोसंरचना के कार्य पूरे नहीं हो पा रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य के मुख्य सचिव ने हाल ही में केंद्रीय कोयला मंत्रालय को पत्र भेजकर 615 करोड़ रुपये मांगे हैं।
कोलकाता में हुई बैठक में लिया गया निर्णय
आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण के चेयरमैन तापस बनर्जी ने इस बारे में बताया कि हाल ही में उन्होंने कोलकाता में दो अहम बैठकें की। पिछली बैठक चार दिन पहले कोलकाता में हुई थी। इस बैठक में उनके अलावा एडीडीए के सीईओ राहुल मजूमदार, राज्य के आवास मंत्री अरूप बिस्वास, आवास विभाग के प्रधान सचिव और कोल इंडिया के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इस बैठक से तय हुआ कि राज्य के मुख्य सचिव कोयला मंत्रालय को पत्र लिखेंगे कि बकाया राशि का भुगतान करें। पहले वह पत्र मुख्य सचिव द्वारा 615 करोड़ रुपए के लिए लिखा गया था।

30 हजार मकान बनने हैं पुनर्वासन को
अड्डा चेयरमैन तापस बनर्जी ने यह भी कहा कि 2020 तक कोयला मंत्रालय ने पुनर्वास परियोजना के लिए 581 करोड़ 14 लाख रुपये आवंटित किया गया था। इस परियोजना में कुल 2600 करोड़ रुपये दिए जाने की उम्मीद है। जहां करीब 30 हजार मकान बनने हैं। जो 581 करोड़ दिए गए उनमें से 200 करोड़ रुपये पुनर्वास को मकान बनाने के लिए जमीन खरीदने में खर्च हो गए। लगभग 10,500 परिवारों का पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए अंडाल के दक्षिण खंड, बरबनी के दासक्यारी और जामुड़िया के विजयनगर में घरों का निर्माण शुरू किया गया। प्रत्येक ब्लाक में चार मंजिलें हैं। प्रत्येक में 16 फ्लैट हैं। एडीडीए की देखरेख में आवास विभाग यह काम कर रहा है। हाल ही में राज्य के मुख्य सचिव ने कोयला मंत्रालय के सचिव को 615 करोड़ रुपये तुरंत भेजने के लिए पत्र लिखा है। उस पत्र में जो 581 करोड़ 14 लाख रुपये दिए गए थे उसका भी जिक्र है। शेष 615 करोड़ रुपए का काम पूरा करने के लिए बार-बार भुगतान नहीं हो रहा । पिछले दो साल में कम से कम आधा दर्जन ऐसे पत्र कोयला मंत्रालय को दिए जा चुके हैं। उस पैसे का भुगतान करके, हम लगभग 10,000 परिवारों को घरों को पूरा करने और मुआवजे के साथ इन घरों में जाने के लिए सभी बुनियादी ढांचे को ठीक करने के बाद चाबियां सौंप सकते हैं। चार दिन पहले हुई बैठक में उस पर भी चर्चा हुई थी। दोनों ही मामलों में कोल इंडिया के प्रतिनिधि ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया जाएगा।

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