ASANSOL

Asansol Club में बिगड़ रहे हालात, एक और विकेट गिरा

बंगाल मिरर, एस सिहं, आसनसोल :  द आसनसोल क्लब में पदाधिकारियों के बीच लगातार टकराव से स्थिति बिगड़ती जा रही है। क्लब की स्थिति विस्फोटक हो रही हैं। इसी बीच क्लब में एक और विकेट गिरने की खबर  है। क्लब अध्यक्ष सोमनाथ विश्वाल ने कहा कि क्लब का विकास मौजूदा नहीं समय की मांग है तथा इसमें बाधक बननेवाले किसी भी पदाधिकारी या सदस्य को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इसीके तहत क्लब के संयुक्त कोषाध्यक्ष (ज्चायंट ट्रेजरर) मुरारी लाल अग्रवाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इसके पहले सचिव शोभन नारायण बसु के साथ इसी मुद्दे पर अध्यक्ष श्री विश्वाल का विवाद हो गया था। जिसके बाद  उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

Asansol Club Election

क्लब के अध्यक्ष श्री विश्वाल ने कहा कि उनके अध्यक्ष बनने के बाद से ही क्लब का विकास तेजी से किया जा रहा है। इसके साथ ही क्लब के सदस्यों की संख्या में काफी वृद्धि की गई है। इसके कारण क्लब में सदस्यों के लिए नई सुविधाएं उपलब्ध कराना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि समय काफी तेजी से बदल रहा है और इस कारण क्लब में सदस्यों की सुविधाओं का ट्रेड भी सुविधाएं सीमति रहने से सदस्यों का मनोरंजन संभव नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने अध्यक्ष पद संभाला है, उस समय से ही इस दिशा में कार्य जारी है। क्लब में काफी बदलाव किये गये है।

 उन्होंने कहा कि इस समय क्लब में नई सुविधाएं बढ़ायी जा रही है। मुख्य ‘विकास कार्यों में छह गेस्ट हाउस बनाना, एक इनडोर बैडमिंटन कोर्ट बनाना, मौजूदा किचेन का विस्तार करना, लांग टेनिस कोर्ट में दिन रात मैच खेलने की सुविधा उपलब्ध कराना तथा इंडेर क्रिकेट के लिए टर्फ का निर्माण करना शामिल हैं। उन्होंने असहयोग मिल रहा था। इस कारण सचिव ने इस्तीफा दे दिया इसके बाद कोशिश हुई कि सबकुछ बेहतर चले। लेकिन काफी परेशानी हो रही थी। 

क्लब कार्यकारिणी की बैठक उनकी अध्यक्षता में हुई। इसमें मुरारी लाल अग्रवाल को संयुक्त कोषाध्यक्ष पद से हटाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि कोषाध्यक्ष अभिजीत घांटी ही पूरी तरह से सिक्रय रहेंगे। उनसे बातचीत हुई है और उन्होंने विकास में पूरा सहयोग करने का निर्णय लिया है। इस स्थिति में एक और कोषाध्यक्ष रखने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने फिर कहा भी बाधा बर्दाश्त नहीं करेंगे। या तो पदाधिकारियों तथा कार्यकारिणी सदस्यों को सहयोग करना होगा या फिर मुख्य धारा से अलग हो जाना होगा। तीसरा कोई विकल्प नहीं है।

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