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मुंशी प्रेमचंद जयंती पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से अनोखा विरोध, पहले हमें बांग्ला पढ़ाओ फिर अधिसूचना लाओ

बंगाल मिरर, कोलकाता : हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिसमें यह कहा गया था कि पश्चिम बंगाल सिविल सर्विसेज की परीक्षा में हिंदी, उर्दू एवं संथाली भाषा को हटा दिया गया है, ओर 300 अंक का बांग्ला प्रश्न पत्र पास करना अनिवार्य कर दिया गया है । इसे लेकर पूरे प्रदेश में हिंदी भाषी लोग विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर कोलकाता के रानू छाया मंच में एक नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया जिसका उद्देश्य इस प्रदेश के हिंदी भाषी जनता की मांग राज्य सरकार तक पहुंचाना था इनका कह रहा है पहले हमें बांग्ला पढ़ाओ फिर कोई नोटिफिकेशन लाओ इस मांग पर यह नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य राज्य सरकार को हिंदी भाषी जनता के मन की बात बताना है।

मौके पर जितेंद्र तिवारी ने कहा जिस तरह से पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस परीक्षा से हिंदी, बंगाल और उर्दू को हटाया गया है। उससे इस प्रदेश के एक बड़े तबके के बच्चे सिविल सर्विस परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाएंगे। ऐसे में उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। इसे लेकर विभिन्न संगठनों की तरफ से राज्य सरकार से अनुरोध किया जा रहा है कि राज्य सरकार अपना फैसला वापस ले जो लोग यह मांग कर रहे है। उनका कहना है कि राज्य सरकार के इस नोटिफिकेशन के कारण बंगाल के हिंदी भाषी युवा वंचित होंगे।

इनका कहना है कि जब हिंदी मीडियम स्कूलों में बच्चों को शुरू से बंगला में पढ़ने का मौका नहीं मिलेगा। तब वह सिविल सर्विस की परीक्षा में बांग्ला में प्रश्न पत्र का उत्तर कैसे लिख पाएंगे। इसके लिए इनकी मांग है कि फिलहाल के लिए इस फैसले को स्थगित रखा जाए और प्राथमिक से लेकर दसवीं कक्षा तक बच्चों को हिंदी के साथ-साथ बंगला भी पढ़ाई की जाए। ताकि नई पीढ़ी के बच्चे बंगला भी पढ़ सके और बांग्ला के प्रश्न पत्रों का जवाब दे सके।

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