ASANSOL

आसनसोल इंजीनियरिंग कॉलेज में खुदाई के दौरान निकला कोयला ?

बंगाल मिरर, आसनसोल। पश्चिम बर्द्धमान जिला के आसनसोल शहर औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता है। लेकिन वर्तमान समय में कुछ कल कारखाने चल रहे हैं तो कुछ कई वर्षों से बंद है। इसके बावजूद आसनसोल कोलकाता के बाद पश्चिम बंगाल में दूसरा सबसे बड़े शहर व इंडस्ट्रियल इलाकों मे से एक माना जाता है। आसनसोल कोयला उत्पादन के लिए भी जाना और पहचाना जाता है। पुरे देश मे सबसे पहले आसनसोल मे ही कोयले की खोज की गई थी। वह दिन था 11 अगस्त 1774 आसनसोल के सालानपुर स्थित एथोड़ा में देश की पहली 40 फीट गहरी व नौ फीट व्यास की कोयला खदान खुला था। सालानपुर एथोड़ा के अलावा रानीगंज में भी पांच अन्य कोयले की खदानें खोली गई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी रहे सामनर व हिटली के अलावा उनके एक मित्र रेडफोर्ड ने सारी जमा पूंजी लगाकर गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स से इन खदानों से कोयला खनन की इजाजत 18 साल की लीज पर ली थी। शर्त यह थी कि उत्पादन का पांचवां हिस्सा राजस्व में दिया जाएगा।

खनन कार्य शुरू होने के बाद 19 सितंबर, 1775 को उत्पादित कोयले की जांच के लिए सैंपल कोलकाता भेजा गया। वहां से आई रिपोर्ट में कोयले की गुणवत्ता निम्न स्तर की बताई गई। इसके बाद 1814 में फिर कोयले की खोज शुरू हुई। इंजीनियर विलियम जेम्स नामक अधिकारी को इसमें लगाया गया, जिन्होंने 1815 में हिटली की संस्था द्वारा परित्यक्त कोयले की खदानों को खोज निकाला। जेम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रानीगंज के दामुलिया में भी एक परित्यक्त खदान थी, जहां से कोयले का उत्पादन शुरू हुआ। जिसके बाद एक के बाद एक आसनसोल मे कोयले के कई भूमिगत और ओपेन कास्ट खदान खुले। जिनमे से कुछ कोयले के खदान अब भी चल रहे हैं तो कुछ किसी ना किसी वजह से फिलहाल बंद पड़े हैं।


इसी बीच एथोड़ा से महज चार से पांच किलोमीटर की दुरी पर आसनसोल के जुबली मोड़ स्थित आसनसोल इंजिनियरिंग कॉलेज मे कॉलेज प्रशासन द्वारा कॉलेज मे गड्डा खुदवाया जा रहा था। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार गड्डा स्विमिंग पूल निर्माण या कुआं के लिए खुदवाया जा रहा था। करीब 20 से 25 फुट की हुई खुदाई के बाद गड्डे से कोयले का एक बड़ा भंडार पाया गया। लेकिन कॉलेज प्रबंधन की और से इसकी जानकारी किसी को नहीं दी गई और गड्डा खोदने काम जारी रखा गया। लेकिन इस घटना की जानकारी   पत्रकार को मिलने के बाद उन्होंने इसकी छानबीन शुरू की। इस विषय में सबसे पहले निगम के उपमेयर वसीमूल हक को आसनसोल इंजीनियरिंग कॉलेज के गड्डा खोदने और उससे कोयला निकलने की तस्वीर भेजकर निगम की अनुमति के बारे में जानकारी मांगी गयी। इस पर उपमेयर ने कहा कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा कुंवा खोदा जा रहा है। निगम के अभियंता कॉलेज जाकर जांच कर यह रिपोर्ट मुझे दी है की गड्डे से कोयला निकलने की सुचना ईसीएल प्रबंधन को दे दी है।   


इस विषय पर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. पांडा से सवाल करने पर उन्होंने कहा कि कॉलेज परिसर में गड्डा खोदा जा रहा था जहां गड्डे से कोयला निकला है। हमने अभी खुदाई रोक दी है। उन्होंने कहा की आज निगम के अधिकारी जांच के लिए आएं थे। हालांकि गड्डा क्यों खोदा जा रहा था इस सवाल पर उन्होंने टालमटोल कर दिया। वहीं ईसीएल प्रबंधन को सुचना देने वाले सवाल में उन्होंने कहा कि अभी कॉलेज प्रबंधन द्वारा सूचना देने की तैयारी की जा रही है।


मिली जानकारी अनुसार गुरूवार को ईसीएल प्रबंधन की टीम जांच के लिए कॉलेज पहुंचने वाली है।                
कॉलेज परिसर से मिली कोयले की इतनी बड़ी भंडार के बाद कॉलेज क्या आने वाला समय में इसीएल इस भंडार को बाहर निकालने की कोई योजना बना सकती है। कोयले के इस भंडार को बाहर निकालने के लिए कॉलेज को कहीं दूसरी जगह स्थानत्रित किया जाएगा। एसे कई सवाल है जो अब उठने लगें है।

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