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रानीगंज चैंबर में गहराया विवाद, आरोप-प्रत्यारोप

बंगाल मिरर, रानीगंज :  रानीगंज चेंबर ऑफ कॉमर्स की 60 वी वार्षिक आम सभा का आयोजन गुरुवार शाम चेंबर के कांफ्रेंस हॉल में किया गया जिसमें चेंबर के वर्ष 2020 -2021 के आय व व्यय का लेखा-जोखा एवं ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की गई । पिछले वर्ष की सचिव रिपोर्ट के अलावा साधारण एवं आजीवन सदस्यों के रजिस्ट्रेशन शुल्क में वृद्धि का निर्णय लिया गया। सचिव की रिपोर्ट पेश करने के समय चेंबर के पूर्व महासचिव उज्जवल मंडल ने अपना विरोध जताया और सदस्यों के समक्ष अपनी बातें रखी। उन्होंने बताया कि नाही पिछले साल की कार्यों का विवरण तैयार करते समय उनसे परामर्श लिया गया और ना ही उन्हें उसकी एक प्रति समय पर दी गई। केवल पिछली रात 9:00 बजे के बाद उनके घर में एक प्रति भेज दी गई जो कि बहुत ही निंदनीय कदम है एवं वह इसका विरोध करते हैं ।  

उज्जवल मंडल ने बताया की पिछले साल के आय-व्यय का लेखा-जोखा एवं ऑडिट रिपोर्ट तैयार करते समय भी न हीं उनसे परामर्श लिया गया और ना ही पूर्व अध्यक्ष से कोई परामर्श लिया गया जो कि चिंतनीय है एवं चेंबर के वर्तमान पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली एवं मानसिकता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है । जब चेंबर के वर्तमान महासचिव  अरुण भरतिया ने कहा कि श्री मंडल को उन्होंने 15 दिन पहले इस बारे में बताया था तब श्री मंडल ने अपना रोष व्यक्त करते हुए उन्हें कहा कि वह झूठ बोल रहे हैं और इस बारे में कोई प्रमाण पेश करें ।  उज्जवल मंडल ने यह भी मांग रखी कि वह जो भी मुद्दे उठा रहे हैं या जो भी मांग कर रहे हैं , उन सभी बातों को मीटिंग के विवरण में डाला जाए एवं उसकी एक प्रति उन्हें भेज दी जाए ।चेंबर के सदस्य  रामकृष्ण साहू ने यह जानना चाहा कि क्या वर्तमान अध्यक्ष एवं महासचिव ऑडिट रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर कर सकते हैं जिसमें चेंबर के सलाहकार श्री आर के क्याल ने कहा कि ऐसा किया जा सकता है।

इसी बीच अन्य सलाहकार  ओम बाजोरिया ने बताया की चुकी पिछले साल लगातार हर महीने आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता रहा है एवं सभी रिकॉर्ड दुरुस्त है अतः ऑडिट रिपोर्ट करते समय इसमें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आई और विचार-विमर्श की कोई जरूरत नहीं पड़ी । साधारण सदस्य एवं आजीवन सदस्यों के रजिस्ट्रेशन शुल्क में वृद्धि को लेकर विद्युत पांडे ,  उज्जवल मुखर्जी एवं अन्य कई सदस्यों ने इसका विरोध किया किंतु पदाधिकारियों ने उनकी बात को अनसुना करते हुए शुल्क में वृद्धि की घोषणा कर दी ।  

उज्जवल मुखर्जी ने बताया कि इससे छोटे एवं साधारण व्यापारियों का चेंबर में प्रवेश अवरुद्ध कर दिया है और यह चेंबर की आगे प्रगति में बाधक सिद्ध होगा। राजा लुहारूवाला ने यह जानना चाहा कि उनके द्वारा विगत में जो दो पत्र लिखे गए थे उनका जवाब कब तक मिल जाएगा और उन्होंने अपने एक पत्र के जवाब के बारे में भी जानना चाहा जो उन्होंने पिछले दिन चेंबर को भेजा था राजेंद्र लुहारूवाला जी ने बताया कि उन्होंने चेंबर के महासचिव को 22 सितंबर को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने पिछले साल वार्षिक आमसभा में दिए गए निर्णय को मानते हुए 3 जुलाई को फाउंडर्स डे का पालन ना करने की बात कही जो कि काफी विवादों में घिरी हुई थी। उसके बावजूद भी 3 जुलाई को फाउंडर्स डे का पालन करना तानाशाही एवं जोर जबरदस्ती से काम करने का परिचायक है एवं लोकतंत्र के विरुद्ध है।

उन्होंने बताया कि उन्होंने पदाधिकारियों को किसी गैर सदस्य को ऑडिटर बनाने के लिए कहा है किंतु ऐसा नहीं किया जा रहा है और यह मुद्दा विवादास्पद होते जा रहा है और वर्तमान ऑडिटर के प्रति लोगों में एक खराब भावना बनती जा रही है। उन्होंने बताया कि चेंबर के साधारण एवं आजीवन नए सदस्यों के रजिस्ट्रेशन शुल्क में वृद्धि की जा रही है, यह नए सदस्यों एवं छोटे व्यापारियों को रोकने का एक उपक्रम है । जबकि होना तो यह चाहिए था कि कुछ सदस्य एक ही नाम से कई सदस्यता एवं दूसरे नामों से कई विवादास्पद प्रतिनिधि बनाए रखे हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए थी। किंतु न ही पिछले कुछ पत्रों का जवाब दिया गया और न ही कार्रवाई की गई जो की चेंबर के पदाधिकारियों का अलोकतांत्रिक व्यवहार दर्शाता है।

श्री लुहारूवाला ने जब यह जानना चाहा कि उन्हें कितने दिन में अपने पत्रों का जवाब मिल जाएगा तो अध्यक्ष श्री प्रदीप बाजोरिया ने उन्हें 1 माह के भीतर सभी पत्रों का जवाब देने का आश्वासन दिया। चेंबर के भूतपूर्व महासचिव  उज्जवल मंडल ने बताया कि वर्तमान कार्यकारिणी समिति के एक सदस्य ने चेंबर के एक सदस्य को ना सिर्फ धमकी दी बल्कि उसे अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए प्रताडित किया जिसके लिए उस सदस्य ने पदाधिकारियों को इस बारे मे सूचित किया एवं श्री मंडल ने खुद वर्तमान समिति के कर्ताधर्ता एवं वर्तमान सलाहकार को इस बारे में सूचना दी किंतु आज तक कोई कार्रवाई नही की गई जिससे वह सदस्य अभी भी सदमे में हैं और डरा हुआ है । यही नहीं चेंबर के इस कार्यकारिणी सदस्य के व्यवहार से कई लोग नाराज हैं एवं उनमें एक भय का माहौल बन गया है ।

चेंबर के पूर्व अध्यक्ष संदीप भालोटिया ने बताया कि वर्तमान कार्यकारिणी की कार्यशैली महज पिछली कमेटियों पर दोषारोपण कर सदस्यों द्वारा दिए जाने वाले कार्यों को टालमटोल एवं बहाना कर ना करने की है यहां तक कि वर्तमान महासचिव  अरुण भरतिया को उन्होने इस बारे में बताया था कि वह पिछली समिति के लिए अपशब्दों का प्रयोग करते हैं जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए । किंतु उन्हें मना करने के बावजूद भी वह लगातार ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी लोकतांत्रिक संस्थान के भीतर सदस्यों की रोजमर्रा की बातचीत की रिकॉर्डिंग नहीं की जाती है जो कि चेंबर के वर्तमान महासचिव लगातार लोगों को धमकी देते हैं कि उनके हर बातों को रिकॉर्ड किया जाता है।

उनका यह व्यवहार गैर कानूनी एवं असंवैधानिक है। किसी को बिना बताए उनकी बातों को रिकॉर्डिंग करना किसी भी रूप में उचित नहीं है और सदस्यों के प्रति इस तरह के भेदभाव एवं अविश्वास को किस तरह से तरह से वर्णित किया जाए यह कहना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान समिति का ज्यादातर समय राजनीतिक लोगों का पीछा करने एवं उनको प्रभावित करने में ही लग जाता है जिसे चेंबर के रोजमर्रा के कार्य नहीं हो पा रहे हैं एवं सदस्य अपने कार्यों को न कर पाने से उन्हें काफी रोष है। इस संबंध में चैंबर अध्यक्ष प्रदीप बाजोरिया का कहना है कि चैंबर की सभा में किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ था। वहीं चैंबर में गतिरोध भी नहीं है। सभी मिलकर कार्य कर रहे हैं। 

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