971 करोड़ रुपए से बन रहा नया संसद भवन जानें कैसा है
अमृतकाल में नए संसद में होगा प्रवेश, इतिहास बनने के हम सभी होंगे साक्षी भारत ने आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं। आजादी का अमृत महोत्सव की पूरे देश में धूम देखने को मिली… अब जबकि देश अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। पीएम मोदी ने भी लाल किले की प्राचीर से कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव, अब अमृतकाल की दिशा में पलट चुका है, आगे बढ़ चुका है, तब इस अमृतकाल में सबका प्रयास अनिवार्य है। टीम इंडिया की भावना ही देश को आगे बढ़ाने वाली है। 130 करोड़ देशवासियों की ये टीम इंडिया एक टीम के रूप में आगे बढ़कर के सारे सपनों को साकार करेगी। इस अमृतकाल में, हमें आने वाले 25 साल में, एक पल भी भूलना नहीं है। पीएम ने देशवासियों का आह्वान किया है, तो जाहिर है आने वाले वर्षों में कई इतिहास बनेंगे, जिसके हम सब साक्षी होंगे। इसमें सबसे पहला नाम है लोकतंत्र का मंदिर यानि संसद भवन में प्रवेश। नए संसद भवन का काम तेजी से चल रहा है और उम्मीद है कि संसद का शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में ही हो। दरअसल ऐसी उम्मीद इसलिए भी लगाई जा रही है क्योंकि हाल में संपन्न हुए मॉनसून सत्र का समापन हो गया है और माना जा रहा है कि मानसून सत्र, संसदीय इतिहास में, पुराने संसद भवन में संपन्न आखिरी सत्र के रूप में दर्ज हो जाएगा।
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कैसा है हमारा पुराना संसद भवन
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लेकिन कई बार आपने मन में भी सवाल उठता होगा कि जब संसद भवन है तो नए की क्या जरूरत है। तो आइए जानते हैं, क्यों बनाया जा रहा है नया संसद भवन और इसकी खासियत पुराना विशाल संसद भवन करीब छह एकड़ क्षेत्र में बना है और यह दुनिया के विभिन्न देशों के सबसे विशिष्ट संसद भवनों में से एक है। 144 मजबूत स्तंभों पर टिका वर्तमान संसद भवन करीब 95 साल पहले अंग्रेजों ने बनवाया था। अगर पुराने संसद भवन की स्थापना के बारे में बात करें तो… संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को तब के महामहिम द ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। करीब 95 साल पुराने इस भवन के निर्माण के बाद दुनिया बहुत बदल चुकी है। जहां संसद के सदस्यों की संख्या बढ़ गई है। इसके अलावा वेंटीलेशन सिस्टम, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, ऑडियो-वीडियो सिस्टम जैसी कई चीजों में सुधार की जरूरत है। इसके अलावा मौजूदा संसद भवन भूकंप रोधी भी नहीं है। ऐसे में सरकार ने नया संसद भवन बनाने का फैसला लिया।
नए संसद भवन में बढ़ाई गई बैठने की व्यवस्था
अब अगर संसद में सांसदों के बैठने की व्यवस्था की बात करें तो, अभी लोकसभा में 590 सदस्यों के बैठने की क्षमता है, जबकि नई लोकसभा में 888 सीटें होंगी। इसके अलावा दर्शक दीर्घा गैलरी में 336 लोगों के बैठने का प्रबंध होगा। राज्यसभा में सदस्यों के बैठने की क्षमता 280 से बढ़कर 384 होगी। संयुक्त सत्र के दौरान नई लोकसभा में ही 1,272 से ज्यादा सांसद बैठ सकेंगे। हाल ही में पीएम मोदी ने नए संसद भवन की छत पर 6.5 मीटर लंबे राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण किया। इस दौरान अधिकारियों के मुताबिक नए संसद भवन का निर्माण कार्य तय समय के अनुसार चल रहा है और सिविल वर्क लगभग पूरा हो चुका है। अब तक 62 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और इस वर्ष 30 अक्टूबर तक संपूर्ण काम पूरा होने और दोनों सदनों को सौंपे जाने की संभावना है। यानि साफ है कि काम इसी रफ्तार से सुचारू रूप से चला तो संसद का आगामी शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में होने की उम्मीद है। दरअसल केंद्र सरकार ने 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता वाली संसद भवन की नई इमारत के निर्माण कार्य को अगस्त 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। सरकार चाहती है कि 2022 में जब देश स्वतंत्रता की 75वीं सालगिरह मनाये तो उसी दौरान नए संसद भवन का उद्घाटन भी हो।
एक नज़र नए संसद भवन की खूबियों पर :
नये संसद भवन की इमारत त्रिकोणीय है, जिसे बनाने में करीब 971 करोड़ रुपए का खर्च का लक्ष्य रखा गया है इस इमारत का क्षेत्रफल 17 हजार वर्ग मीटर होगा, यानि कि वर्तमान संसद भवन से बड़ा होगा। वहीं नए संसद भवन का निर्माण कुल 64,500 वर्ग मीटर भूमि पर किया जा रहा है, जो कि चार मंजिला है यह इमारत पूर्ण रूप से भूकंप रोधी इमारत होगी। इसके निर्माण कार्य में एक बार में 2000 लोग काम करेंगे, जबकि करीब 9000 लोग अप्रत्यक्ष रूप से अपनी सेवाएं देंगे।
इसके अलावा नया संसद भवन अत्याधुनिक, तकनीकी सुविधाओं से युक्त और ऊर्जा कुशल होगा। मौजूदा संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी। नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ा है और राज्यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है। नए भवन की सज्जा में भारतीय संस्कृति, क्षेत्रीय कला, शिल्प और वास्तुकला की विविधता का समृद्ध मिलाजुला स्वरूप होगा। डिजाइन योजना में केन्द्रीय संवैधानिक गैलरी को स्थान दिया गया है। आम लोग इसे देख सकेंगे। इसी के साथ नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी। जैसे आज इंडिया गेट से आगे नेशनल वॉर मेमोरियल ने राष्ट्रीय पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा। वैसे बता दें कि नए भवन के निर्माण के बाद भी पुराने भवन का उपयोग जारी रहेगा। दोनों भवन एक-दूसरे के पूरक के रूप में कार्य करेंगे। पुराने संसद भवन का इस्तेमाल संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा। इसके अलावा मौजूदा भवन की ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जायेगा।