Health

Health Tips : गर्मी और प्रदूषण से आंखों में संक्रमण, बरतें सावधानी

बंगाल मिरर, आसनसोल : आंख के डॉक्टर के चैंबर में इन दिनों  लाल आंखों की समस्यावाले रोगियों की भीड़ जमा हो रही है। नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि दिन में कम से कम तीन-चार मरीज इस समस्या को लेकर आते हैं। उनमें से अधिकतर अठारह वर्ष से कम उम्र के हैं। क्योंकि, कई मामलों में ये बीमारी स्कूलों से फैल रही है। सुबह-सुबह कीच से भरी उन आंखों को खोलने की तकलीफ़  ‘जय बांग्ला’ की याद दिलाती है. एक महीने तक यह स्थिति देखकर डॉक्टरों का सवाल, लेकिन क्या जय बांग्ला वापस आ गया है। उनके मुताबिक गर्म मौसम और पर्यावरण प्रदूषण भी इस संक्रमण के लिए जिम्मेदार है.

brown human eye
Photo by Subin on Pexels.com

पचास साल पहले, ‘जय बांग्ला’ धीरे-धीरे खत्म हुआ । इसकी जगह अधिक हानिकारक कंजंक्टिवाइटिस ने ले ली। डॉक्टरों का कहना है कि जय बांग्ला के अटैक से कॉर्निया को कोई नुकसान नहीं हुआ । लेकिन पिछले कुछ वर्षों की स्थिति को देखने के बाद, कंजंक्टिवाइटिस कॉर्निया को नुकसान पहुंचाता है। लेकिन साथ ही, डॉक्टरों को जो आश्वासन सुनने को मिल रहा है, वह यह है कि इस साल अब तक कंजंक्टिवाइटिस में कॉर्निया को कोई नुकसान नहीं देखा गया है। इसके अलावा, दोनों बीमारियों के बीच अन्य अंतर भी हैं। डॉक्टर कहते हैं, कंजंक्टिवाइटिस पिचू को नहीं काटता। आँखों में पानी आता रहता है. यह एक वायरल बीमारी है. लेकिन, जय बंगाल में पीड़ितों की आंख में कीच ज्यादा होती है. यह रोग बैक्टीरिया के कारण होता है।

जय बांग्ला नाम का इतिहास बताता है कि 1971 के मुक्ति संग्राम में सेना की बंदूकों में बड़ी मात्रा में स्टील की संगीनों का इस्तेमाल किया गया था। यह जल्दी ठंडा हो जाता है. उस ठंडे स्टील से यह अत्यधिक संक्रामक नेत्र रोग फैलना शुरू हुआ। नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रवीण राय कहते हैं, चाहे दवा दी जाए या नहीं, जय बांग्ला को सात दिन से पहले नहीं हटाया जा सकता था। बाद में एडेनोवायरस कंजंक्टिवाइटिस के रूप में आंख पर हमला करता रहा।

उन्होंने ने कहा, ‘पिछले दो सप्ताह से हर दिन चार से पांच मरीज लाल आंखों की समस्या लेकर आ रहे हैं। अधिकांश मरीज़ चार से 18 वर्ष की आयु के बीच हैं। ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी मुख्य रूप से स्कूलों से फैलती है। अधिकांश की आंखें लाल, पपड़ीदार होती हैं। यदि परिवार में किसी बच्चे को कंजंक्टिवाइटिस है, तो यह परिवार के बाकी सदस्यों में तेजी से फैलता है।”
उन्होंने कहा कि ”वायरल कंजंक्टिवाइटिस में लाल आंखें, सूजन, गले में खराश, बुखार, आंखों से पानी आना जैसे लक्षण होते हैं। इस साल बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस भी हो रहा है। इससे आंखें लाल हो जाती हैं और सूज जाती हैं।” नतीजतन, सवाल उठता है कि क्या यह संक्रमण रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी के कारण है? यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले साल एडेनोवायरस में वृद्धि के बाद इस साल ये लक्षण दिखाई दे रहे हैं।”

Leave a Reply