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18 वर्ष से अधिक के लिए वैक्सीनेशन का रजिस्ट्रेशन शुरू, जाने क्या है प्रक्रिया

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता: 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों के लिए कोविड से बचाव का टीका लगवाने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया आज प्रारंभ हो रही है। इन लोगों को अगले महीने की एक तारीख से कोविड टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण में टीका लगाया जाएगा।

आज से 18+ के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू

18+ के लोग कोविन पोर्टल cowin.gov.in या आरोग्य सुते एप पर पंजीकरण करा सकते हैं। इस चरण में पहले की तरह केन्द्र सरकार के सभी टीकाकरण केंद्र पर 18 वर्ष से ऊपर की आयु के सभी लोगों को नि:शुल्क टीका लगाया जाएगा।
इस फेज में टीकाकरण के लिए कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है और वहीं से लोगों को टीका लगवाने की जगह और तारीख का पता चलेगा। पिछले चरण की तरह लोग डायरेक्ट जाकर टीका नहीं लगवा सकेंगे।

कैसे करें रजिस्ट्रेशन

लोगों को अपने मोबाइल नम्‍बर में माध्‍यम से कोविन पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा। इस पोर्टल पर उन्‍हें जरूरी जानकारियों के अलावा एक फोटो युक्त पहचान पत्र अपलोड करना होगा। इसके बाद उन्हें टीकाकरण की तारीख अपनी सुविधा के अनुसार तय करनी होगी। इन प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद मोबाइल पर पंजीकरण पुष्टि का एक मैसेज आएगा, जिसे टीकाकरण के समय दिखाना होगा।
इस चरण में केंद्र ने राज्यों और निजी अस्पतालों को भी उत्‍पादक से टीका खरीदने की भी छूट दी है। तीसरे चरण में वैक्सीन उत्पादन केन्द्र सरकार को अपने मासिक टीकों की मात्रा के 50 प्रतिशत हिस्से की आपूर्ति करेंगे और शेष पचास प्रतिशत खुले बाजार में राज्यों को दिया जा सकेगा।

RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट में CT वैल्यू की भूमिका, जानें इसका इन्फेक्शन से क्या है सम्बन्ध

देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीनेशन और टेस्टिंग दोनों पर जोर दिया जा रहा है, जिसके तहत अब तक कुल 14 करोड़, 77 लाख से ज्यादा नागरिकों को वैक्सीन भी लगाई जा चुकी है। बताना चाहेंगे, बीते 24 घंटों में देशभर में कुल 24 लाख से अधिक नागरिकों को यह वैक्सीन लगाई गई है। वहीं, कोरोना की जांच की बात करें तो देशभर में कई तरह के टेस्ट जैसे रैपिड एंटीजन टेस्ट, RT-PCR टेस्ट इत्यादि हो रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच RT-PCR यानि ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन टेस्ट’ को अन्य टेस्टों के मुकाबले ज्यादा सटीक माना गया है।

CT वैल्यू क्या होती है?

दरअसल, RT-PCR टेस्ट में CT वैल्यू का पता चलता है, जिससे यह पता चलता है कि अमुक व्यक्ति में इन्फेक्शन का स्तर कितना है। ऐसा इसलिए क्योंकि CT वैल्यू और वायरस एक दूसरे के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं। यानी कि CT वैल्यू जितनी कम है, वायरल लोड उतना ही ज्यादा है। आईसीएमआर के दिशा निर्देशों के मुताबिक RT-PCR टेस्ट के तुरंत बाद लिए गए नमूने में संक्रमण का पता चलने पर वायरस की पॉजिटिविटी का पता लगाया जा सकता है।

कैसे पता लगता है कि व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं?

आईसीएमआर के मुताबिक सीटी वैल्यू के लिए वैश्विक रूप से दिया गया कट ऑफ 35-40 प्रतिशत है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति की सीटी वैल्यू 35 या इससे कम है तो वो कोविड मरीज के रूप में जाना जाएगा, और अगर यह आंकड़ा 35 से अधिक है तो इसका मतलब व्यक्ति संक्रमित नहीं है।

https://bit.ly/3xucPaF

RT-PCR टेस्ट होता क्या है?

RT-PCR में किसी भी वायरस के जेनेटिक मटेरियल को टेस्ट किया जाता है। चूंकि, कोरोना वायरस एक RNA (Ribonucleic acid) वायरस है यानी यह केवल RNA प्रोटीन से बना है। इसलिए कोरोना वायरस के RNA को पहले DNA (Deoxyribonucleic acid) में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया को रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन कहा जाता है। फिर इस DNA में चेन रिएक्शन करवाई जाती है। इस चेन रिएक्शन के जरिए किसी व्यक्ति के सैंपल में कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।

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