पश्चिम बंगाल में उद्योगों के प्रति सरकार का सकारात्मक रुख, अगले महीने से होने जा रहे अहम बदलाव
बंगाल मिरर, कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के द्वारा कोलकाता के शिल्प सदन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसका उद्देश्य विभिन्न राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ उद्योगों को सुगमता से चलाने वाले मुद्दों पर एवं सरकारी विभागों द्वारा किये जा रहे अनुपालन को कम करने से संबंधित विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग ( MSME) के प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेश पांडे के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल मे व्यापार एवं उद्योगों को सुगमता से चलाने एवं विभिन्न विभागों द्वारा अनुपालन को कम करने पर चर्चा की गई । इस कार्यक्रम में सूक्ष्म , लघु एवं मध्यम उद्योग के विभाग के अलावा शहरी विकास विभाग, प्रदूषण विभाग , अग्नि एवं आपातकालीन सेवाओं के विभाग, विद्युत विभाग , श्रम विभाग के अलावा अन्य कई विभाग के उच्च अधिकारी मौजूद थे।
कार्यक्रम के दौरान सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के विभाग के डायरेक्टर स्वरूप ने बताया की आने वाले समय में शहरी विकास विभाग के साथ मिलकर बिल्डिंग प्लान को बहुत ही आसान तरीके से पास कराने की व्यवस्था की गई है एवं इसके साथ ही कई विभागों के अनुमति को भी एक साथ ही एकल रूप में करने की व्यवस्था की गई है। इसमें तकनीकी की सहायता भी ली जाएगी। छोटे मामलों में कोई भी निरीक्षण नहीं किया जाएगा एवं ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट 25 दिन में दे दिया जाएगा । ट्रेड लाइसेंस एवं शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट लाइसेंस को एक कॉमन एप्लीकेशन द्वारा किया जाएगा और इसे 15 सितंबर से लागू किया जा रहा है। एक बार अगर विक्रेता का नाम मिलान कर दिया जाता है तो स्वतः पंजीकरण हो जाएगा एवं ऑटो म्यूटेशन हो जाएगा। प्रॉपर्टी टैक्स एवं अन्य इनकंब्रैंसेस की प्रणाली को ऑनलाइन कर दिया गया है।
श्रम विभाग के प्रावधानों का भी काफी सरलीकरण किया गया है, जिसमें डिजिटल रजिस्टर, निरीक्षण का सरलीकरण, रिस्क बेस्ड क्लासिफिकेशन ऑफ एस्टेब्लिशमेंट, फैक्ट्री लाइसेंस की वैधता 10 साल से बढ़ाकर 15 साल एवं शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट लाइसेंस को सिर्फ दो जरूरी कागजों के साथ नवीनीकरण किया जाएगा । फैक्ट्री लाइसेंस के स्वतः नवीनीकरण की भी व्यवस्था का प्रावधान है । श्रम मंत्रालय द्वारा मल्टीपल रिटर्न को उठा लिया गया है । पश्चिम बंगाल के प्रदूषण नियंत्रण विभाग की तरफ से इसकी उच्च अधिकारी रोशनी सेन ने बताया की कंसेंट टु एस्टेब्लिश एवं कंसेंट टू ऑपरेट का सरलीकरण किया गया है । कंसेंट टू ऑपरेट के स्वत नवीनीकरण का प्रावधान कर दिया गया है । इसके साथ ही कंसेंट टु एस्टेब्लिश की वैधता 5 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है। ग्रीन, ऑरेंज एवं रेड कैटेगरी के कंसेंट टू ऑपरेट को भी बढ़ाया गया है।
नापतोल विभाग एवं वन विभाग के नियमों में भी संशोधन कर इसे सरलीकरण किया गया है। इसके साथ ही मौके पर उपस्थित अग्नि एवं आपातकालीन सेवाओं के विभाग के उच्च अधिकारी श्री मनोज अग्रवाल ने बताया कि विभाग के प्रावधानों को काफी सरलीकरण किया गया है और इसका ख्याल रखा गया है कि उद्यमियों को किसी तरह की कोई असुविधा ना हो । उन्होंने बताया कि उद्यमियों को बिचौलियों की सहायता लेने की कोई जरूरत नहीं , वह खुद ही सारा काम विभाग में जाकर खुद कर सकते हैं। विद्युत विभाग की तरफ से बताया गया कि नए कनेक्शन ऑनलाइन किए जाएंगे एवं सिर्फ दो जरूरी कागजों के साथ, जिसमे एक पहचान पत्र एवं दूसरे मालिकाना के कागजात होंगे। विद्युत विभाग के कनेक्शन के लिए पहले सात से आठ जरूरी कागजात लगते थे। सोसाइटी एवं पार्टनरशिप फर्म के रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन किया गया है एवं इसे 30 दिनों में किए जाने का प्रावधान है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग की तरफ से बताया गया की ग्रीन केटेगरी के कंसेंट टु एस्टेब्लिश एवं कंसेंट टू ऑपरेट को 72 घंटे में पूरा कर दिया जाएगा । विभिन्न तरह की सब्सिडी इंसेंटिव में भी काफी सुविधा देने जाने का प्रावधान है जिसे बाद में साझा किया जाएगा । श्री स्वरूप ने बताया की बहुत सारे जगह पर खुद के प्रमाणन ( सेल्फ सर्टिफिकेशन) का प्रावधान किया गया है। इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल एवं राष्ट्रीय स्तर के कई उद्यमी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया एवं अपने अपने विचार रखें। प्रिंसिपल सेक्रेट्री श्री राजेश पांडे ने सभी के सवालों का विस्तार से जवाब दिया एवं कहा कि आने वाले समय में उद्योगों के विकास के लिए पश्चिम बंगाल सरकार काफी तत्पर है एवं उद्यमियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार है ताकि आने वाले समय में एक और अच्छा वातावरण तैयार कर उद्योगों का जाल बिछाया जा सके ।
इंडियन काउंसिल काउंसिल ऑफ स्माल इंडस्ट्रीज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप भालोटिया ने कहा कि उन्होंने अपनी मांगो में सभी अनुपालन को एकल करने , सही मायनों में ऑनलाइन करने, म्यूटेशन को सरलीकरण करने, कन्वर्जन में दोहरी कर प्रणाली के प्रावधान को समाप्त करने , सब्सिडी को और द्रुत गति से जारी करने की मांग रखी थी जो कि तकरीबन मान ली गई है एवं आने वाले कुछ समय में इसे साझा किया जाएगा। श्री भालोटिया ने बताया कि उन्होंने सूक्ष्म , लघु एवं मध्यम उद्योगों के विभाग के समक्ष उद्यमियों से जीएसटी विभाग के द्वारा इनपुट क्रेडिट को अमान्य करने की असुविधा की तरफ ध्यान आकर्षित किया , जिससे कि उद्यमों को काम करने में काफी दिक्कतें आ रही है और वह अपने उद्यम को चलाने में असमर्थ हो रहे हैं । रेड कैटेगरी के ज्यादातर उद्यम क्यूंकि ग्रामीण इलाकों में ही है और वहां पर ट्रेड लाइसेंस या विभिन्न तरह के अनापत्ति प्रमाण पत्र को नियमन नहीं किया गया है , अतः स्थानीय पंचायत संस्थाएं अपनी इच्छा से कोई भी राशि मांग लेती है जो कि उद्यमियों के लिए दिक्कत का कारण बन रही है। अतः इसे परिभाषित करने की एवं नियमन करने की जरूरत है।
श्री भालोटिया ने कई सुझाव भी रखे जिसमें विभिन्न उद्योगों से स्थानीय लोगों द्वारा की जाने वाली मांगो एवं अन्य कई बाहरी कारको द्वारा किए जाने वाले अवरोध को व्यवहारिक ढंग से सुलझाने की व्यवस्था बनाने की मांग भी रखी । यही नहीं उन्होंने राज्य में साझा सुविधा या साझा कच्चे माल , साझा उत्पाद या किसी भी साझा मुद्दे पर अधिक से अधिक क्लस्टर उद्योग पार्क के प्रावधान की व्यवस्था की मांग की। कच्चे माल से संबंधित असुविधाओं पर भी ध्यान आकर्षित किया गया जिसके चलते कई छोटे-छोटे उद्योग पहले ही बंद हो चुके हैं। बंगाल के कई जिलों में खाद्य प्रसंस्करण एवं हॉर्टिकल्चर से संबंधित उद्योगों को बढ़ावा देने, निर्यात को सुगमता से एवं कम समय में करने की व्यवस्था करने, इंधन एवं विद्युत के दरों में नियमन एवं आसपास के राज्यों के साथ एकरूपता के अलावा खनन से संबंधित असुविधाओं पर भी विभाग का ध्यानाकर्षण किया गया।
श्री भालोटिया ने निवेशकों को सही सम्मान एवं एक अच्छे माहौल के साथ देखने की बात कही । दक्षिण बंगाल के बांकुड़ा एवं पश्चिम बर्दवान के जिला शिल्प केंद्र में पूर्णकालिक जनरल मैनेजर की जरूरत के बारे में भी उन्होंने विभाग का ध्यानाकर्षण किया ताकि इन दोनों महत्वपूर्ण जिलों में सही ढंग से काम हो सके । अंत में श्री भालोटिया ने विभागो से संबंधित विभिन्न सूचनाओं को लगातार साझा करने एवं इसके सही रूप से उद्योगपतियों एवं स्टार्टअप तक पहुंचने की व्यवस्था की मांग की।