NIA : भारी मात्रा में विस्फोटक बरामदगी मामले में चार्जशीट, शिल्पांचल से कई हुए थे गिरफ्तार
बंगाल मिरर, एस सिंह, आसनसोल : बीरभूम के मोहम्मद बाजार के बस स्टैंड के समीप 29 जून 2022 को गोपाल स्वीट्स व राजू मोबाइल दुकान के सामने राज्य सरकार की एसटीएफ द्वारा 81 हजार इलेक्ट्रिक डेटोनेटर व 27 हजार किलो अमोनियम नाईट्रेट की बरामदगी के मामले में एनआइए ने चार्जशीट दाखिल कर दिया है। इस बरामदगी में रानीगंज के गिरजापाड़ा तालपुकुर का रहने वाला आशीष केवड़ा भी पकड़ा गया था। इसके साथ एक टाटा सूमो वाहन भी जब्त किया गया था। इस बरामदगी के बाद एनआइए के दिल्ली स्थित थाने में 20 सितंबर 2022 को प्राथमिकी संख्या 43/2022 में भादवि की धारा 120बी, बम निरोधक कानून की धारा 4, 5 व 6 के तहत दर्ज किया गया।
इसके बाद से एनआइए ने इस मामले को अपने स्तर से छानबीन शुरू कर दी। जब से एनआइए ने इस मामले को अपने हाथ में लिए पश्चिम बर्द्धमान जिले के एक से बढ़कर एक विस्फोटक के धंधेबाज इसमें फंसते गए। रानीगंज के आशीष केवड़ा के बाद बीरभूम के नलहटी निवासी रिंटू शेख उर्फ मुमताज अली, तालपारा गणेश कालोनी निवासी मुकेश सिंह, आसनसोल का मुख्तार खान उर्फ इमरान, रानीगंज का धंधेबाज मिराजुद्दीन, बीरभूम का नुरुजमान को भी एनआइए ने गिरफ्तार कर लिया। इस छानबीन में एक बात तो सामने आ ही गई कि विस्फोटक के अवैध कारोबार का जाल इन्हीं लोगों ने पश्चिम बर्द्धमान से लेकर बीरभूम व झारखंड तक फैला कर रखा था। जांच की जा रही है कि 81 हजार इलेक्ट्रिक डेटोनेटर का इस्तेमाल पत्थर या कोयला खदानों में किया जाना था या फिर इनका मकसद कुछ और था। बताया जाता है कि चार्जशीट दाखिल होने की सूचना एनआइए की ओर से बुधवार शाम को जारी की गई है। लेकिन इस मामले की पुष्टी के लिए जब एनआइए की वेबसाइट व पदाधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
एनआइए के पास जब से यह मामला आया तब से परत दर परत खुलासे हो रहे हैं। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि कई परत और खुलने अभी बांकी हैं। क्योंकि कुछ धंधेबाजों तक तो एनआइए तो पहुंच गई है। लेकिन बिना किसी के सहयोग से इतने बड़े अवैध धंधे को चलाना इन धंधेबाजों के कूबत की बात तो नहीं होगी। इनके संरक्षण के लिए सफेदपोश व खाकी का सहयोग पूरी तरह अपेक्षित होगा। हालांकि अभी तक इस मामले में किसी सफेदपोश व खाकी वर्दी धारी तक एनआइए नहीं पहुंच सकी है। यह भी बताया जा रहा है कि विस्फोटक का यह धंधा पश्चिम बर्द्धमान वाया बीरभूम ही क्यों होता था। अगर झारखंड के दुमका, पाकुड़, जामताड़ा इलाके में अवैध विस्फोटकों की आपूर्ती हो रही थी तो उसके लिए और भी कई रास्ते थे।
चूंकि पिछले दिनों जब मिराजुद्दीन की कुंडली खंगाली गई थी तो पता चला था कि बीरभूम के रामपुरहाट के होटल को उसने अपना अड्डा बनाया था और वहीं से बड़ी डीलिंग करता था। उम्मीद भी जताई जा रही है कि इस मामले में एनआइए बंगाल के बाद झारखंड के दुमका, साहिबगंज में भी इंट्री कर सकती है। बताया जाता है कि इस मामले में अब तक जितनी भी गिरफ्तारी हुई है उनके अलावा एक अन्य मनोज कुमार नामक व्यक्ति का नाम भी भी सामने आया था। लेकिन बताया जाता है कि पकड़े जाने के डर से आत्महत्या कर ली थी।
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