अमित शाह का वार- शिक्षा-स्वास्थ्य-विकास में बंगाल पिछड़ा; राजनीतिक हिंसा-भ्रष्टाचार में नंबर वन
बंगाल मिरर, बीरभूम : बंगाल दौरे के दूसरे दिन गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार शाम को बीरभूम में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। शाह ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले के लिए तृणमूल को जिम्मेदार ठहराया। शाह ने कहा- भाजपा अध्यक्ष पर हमला केवल भाजपा अध्यक्ष पर हमला नहीं, बंगाल के लोकतंत्र पर हमला है। इसकी जिम्मेदारी तृणमूल की सरकार और उसके कार्यकर्ताओं की है। सत्ता का अहंकार जब सिर पर चढ़ जाता है तब इस तरह की घटनाएं होती हैं।
शाह ने कहा- मैं तृणमूल के सभी नेताओं को बताना चाहता हूं कि आप इस गलतफहमी में मत रहिए कि इस तरह की गतिविधियों से भाजपा रुकेगी, या उसका कार्यकर्ता रुकेगा। ऐसे हिंसा का वातावरण बनाएंगे तो भाजपा और उत्साह से खुद को बंगाल के भीतर मजबूत करने की कोशिश करेगी। भाजपा हिंसा का जवाब लोकतांत्रिक तरीके से देगी।
तृणमूल के राज में बंगाल में गुंडागर्दी बढ़ी
हिंसा के बाद जो प्रतिक्रिया राज्य की मुखिया की ओर से आई है, वो नहीं आनी चाहिए थे। तृणमूल के नेताओं के बयान इसका समर्थन करने वाले लगे, वो और ज्यादा चिंता का विषय है। बंगाल के भीतर राजनीतिक हिंसा चरम सीमा पर है और 300 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं की जान गई है। इसकी जांच में एक इंच भी प्रोग्रेस नहीं हुई है।
भ्रष्टाचार भी चरम सीमा पर है। सैकड़ों की राहत का पैसा जो भारत सरकार देती है, उसे भी सत्ताधारी दल ने अपने लिए इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार किया। मोदीजी ने 9 महीने तक कोरोनाकाल में गरीबों के लिए खाना भेजा, वो सारी बोरियां गायब हो गईं। इसकी जिम्मेदारी किसकी है। CAG का ऑडिट कराना पड़ता है, तो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाते हैं। आपको तो स्वागत करना चाहिए, पर भ्रष्टाचार किया है इसलिए भाग रहे हैं। जब राजनीति में परिवारवाद चलता है तो ऐसी ही घटनाएं होती हैं। बंगाल में भाजपा की तैयारी का जो अभियान है, उसके तहत मैं 2 दिन से बंगाल में हूं।
तृणमूल और कांग्रेस से बहुत सारे नेता भाजपा में हैं। शुभेंदु अधिकारी भी भाजपा में आए हैं। उनका स्वागत करता हूं। हमारा मानना है कि अन्याय के खिलाफ जहां पर भी अच्छे कार्यकर्ता भाजपा को अपना प्लेटफॉर्म बनाना चाहते हैं, उन्होंने भाजपा ज्वाइन की है। आज जो जन सैलाब निकला है, उनकी आंखें खोलने वाला है। शायद ही इतने छोटे स्तर पर इतना भव्य रोड शो हुआ होगा।
शाह ने विकास के आंकड़े गिनाए
जब हम आजाद हुए थे तब देश की जीडीपी का एक तिहाई हिस्सा बंगाल का था। तीन दशक के कम्युनिस्ट और एक दशक के तृणमूल शासन में ये ग्राफ गिरता गया है। न कांग्रेस विकल्प है और न तृणमूल विकल्प है। बंगाल को आगे ले जाना है तो मोदी जी के पूर्व उदय के मिशन के साथ ही बंगाल की जनता हमारा सहयोग दे। हम बंगाल को फिर से एक बार सोनार बांग्ला बनाने की दिशा में अभियान चलाएंगे।
देश की आजादी के वक्त इंडस्ट्रियल एरिया में बंगाल की हिस्सेदारी 30% थी और अब 3.5% है। ममता जी जवाब दें। 27% से 4% तक रोजगार पहुंच गया है। प्रति व्यक्ति आय 1960 में महाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय से दोगुनी थी और अब महाराष्ट्र से आधी भी नहीं रह गई है। कौन जिम्मेदार है इसका। 1960 में बंगाल भारत के सबसे अमीर राज्यों में था। आज बहुत नीचे चला गया है। कौन जिम्मेदार है। एक जमाना था कि बंदरगाहों की आवाजाही की 42% थी और आज 10% रह गई है। 1950 में देश की फार्मा इंडस्ट्री में 70% था और अब 7% रह गया है। बंगाल का जूट उद्योग महत्वपूर्ण था, उसकी आज बहुत सारी मिलें सिर्फ कागज पर चल रही हैं। मुझे मालूम है कि ममता दीदी तुरंत इन आंकड़ों पर चैलेंज करेंगी।
मैं कहता हूं कि आप एक जगह तय कर दीजिए, जहां मेरा युवा मोर्चा का नेता आकर आपके सवालों का जवाब दे देगा। राजस्व की वृद्धि में 2011-12 और 19-20 के बीच 31 राज्यों में बंगाल 16वें राज्य पर है। 2020-21 में लिए गए कर्ज की बात करें तो आज राज्य में हर बच्चा 50 हजार के कर्ज के साथ पैदा होता है। सड़क है कि गड्ढा मालूम ही नहीं चलता। बिजली की सर्विस खराब है।
एफडीआई में बंगाल में 2011 में बंगाल की हिस्सेदारी एक फीसदी थी और अभी भी एक फीसदी है। यह अचीवमेंट है कि कोई आंकड़ा ही नहीं बचा। कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में 36% की कमी। अस्पतालों में बेड की कमी है और राज्य 23वें नंबर पर है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के 39%, सर्जन के 87% स्थान खाली हैं। शहरी विकास में जो ग्रांट भेजी है, उसका भी खर्चा नहीं हो पा रहा है। प्राथमिक शिक्षा में कमी है। 56% स्कूीलों में टॉयलेट नहीं है। एक लाख की संख्या पर 13 डिग्री कॉलेज हैं।
भ्रष्टाचार और परिवारवाद पर बोले शाह
परिवारवाद, भ्रष्टाचार, कार्यकर्ताओं की हत्या, हिंसा, बम धमाकों में बंगाल नंबर एक है। आप किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। आपके राज्य में 6 हजार किसानों को मिल जाएं, इसके लिए एक दस्तखत करना है बस। भतीजे का जन्मदिन समझ कर आप दस्तखत कर दीजिए। चुनाव आ रहा है और इसलिए किसान फसल बीमा का फायदा नहीं मिलना चाहिए, यही सोच है।
भाजपा के आउटसाइडर्स पर शाह
ममता जब कांग्रेस में थी और इंदिरा यहां आतीं थी, प्रणब दा आते थे। तब वो क्या कहती थीं। मैं कहना चाहूंगा कि आपको हराने के लिए किसी को कहीं से आने की जरूरत नहीं है। बंगाल की मिट्टी का व्यक्ति ही आपको हराएगा। हम जनता को अगला मुख्यमंत्री बंगाल से ही देने जा रहे हैं।
बांग्लादेशी घुसपैठ पर उन्होंने कहा कि ममता सरकार घुसपैठ नहीं रोक सकती। घुसपैठ सिर्फ भाजपा ही रोक सकती है। बंगाल के अफसरों के तबादलों पर शाह ने कहा कि यह काम संवैधानिक दायरे में ही किया गया है। ममता दीदी को नियमों को कोट कर केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए। नागरिकता कानून (CAA) के विरोध पर शाह ने कहा कि अभी तक इसके नियम फाइनल नहीं किए गए हैं।
शाह ने तृणमूल के गढ़ में किया रोड शो
इससे पहले शाह ने तृणमूल के किले बोलपुर में रोड शो किया। बोलपुर में ममता से पहले 43 साल तक कम्युनिस्टों का कब्जा रहा है। शाह ने कहा कि आपने कम्युनिस्टों को मौका दिया, ममता को मौका दिया, एक बार हमें मौका दीजिए और हम 5 साल में सोनार बांग्ला बना देंगे। शाह ने कहा, ‘ऐसा रोड शो कभी नहीं देखा, भीड़ दिखाती है कि बंगाल की जनता अब बदलाव चाहती है।’ शाह का बंगाल दौरा आज खत्म हो जाएगा और वे शाम को दिल्ली रवाना हो जाएंगे।
शाह ने बांग्लादेश से घुसपैठ को चुनावी मुद्दा बनाया
अमित शाह ने कहा, ‘ये परिवर्तन बंगाल के विकास के लिए होने जा रहा है। ये परिवर्तन बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ को रोकने के लिए है। ये परिवर्तन राजनीतिक हिंसा को खत्म करने के लिए है। ये परिवर्तन टोलबाजी खत्म करने के लिए है।’
शाह ने मिट्टी के बर्तन में पके चावल खाए
शाह अपने दौरे के दूसरे दिन शांति निकेतन पहुंचे। यहां उन्होंने रविंद्र नाथ टैगोर को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद विश्वभारती विश्वविद्यालय में कार्यक्रम में शामिल हुए। शाह ने बोलपुर में एक बाउल सिंगर के घर खाना खाया। खास डिश मिट्टी के बर्तन में पके चावल थे। इस दौरान उनके साथ मुकुल राय और दिलीप घोष मौजूद थे।
बोलपुर भाजपा के लिए अहम
भाजपा के चुनावी अभियान के लिहाज से बोलपुर काफी अहम है। यह संसदीय क्षेत्र कभी कम्युनिस्ट पार्टी का अभेद किला था। 1971 से 2014 तक लगातार यहां कम्युनिस्ट पार्टी का राज रहा। इनमें चार बार सरादिश रॉय और सात बार दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी ने चुनाव जीता। 2014 में तृणमूल कांग्रेस ने यह किला जीत लिया। दो बार से इस सीट पर उसी का कब्जा है।