Asansol – Durgapur में मुंबई से भी ज्यादा प्रदूषण
बंगाल मिरर, आसनसोल : आसनसोल – दुर्गापुर शिल्पांचाल में प्रदूषण की मात्रा कम करने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद 2025 के फरवरी और मार्च महीने में हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि दुर्गापुर और आसनसोल शहर के निवासियों को हवा में मौजूद प्रदूषकों के कारण सांस लेने में अधिक कठिनाई हो रही है।




केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और सेंटर फार रिसर्च आन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआर ईए) के साझा विश्लेषण के अनुसार, फरवरी महीने में मापा गया पीएम 10 और पीएम 2.5 का स्तर मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े महानगरों की तुलना में इन दोनों शहरों में अधिक प्रदूषण दर्शाता है। फरवरी में दुर्गापुर में औसत पीएम 10 का स्तर 189 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और आसनसोल में 155 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो कि राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक की सीमा से अधिक है। यह आंकड़े इन शहरों में प्रदूषण की तीव्रता और इसके स्वास्थ्य प्रभाव को उजागर करते हैं।
पीएम 10 और पीएम 2.5 दो प्रकार के महीन कण होते हैं- पीएम 10 अपेक्षाकृत बड़े और पीएम 2.5 बेहद छोटे कण होते हैं, जो फेफड़ों और रक्त प्रवाह में घुसकर सांस की बीमारियाँ, अस्थमा और हृदय रोग जैसे गंभीर स्वास्थ्य खतरों को जन्म दे सकते हैं। एनएक्यूएएस के अनुसार सुरक्षित दैनिक सीमा पीएम 10 के लिए 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 2.5 के लिए 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।
विशेषज्ञ का कहना सख्ती से हो नियम पालन
विशेषज्ञों ने प्रदूषण के स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियमों और योजनाओं के कार्यान्वयन की आवश्यकता बताई है। दुर्गापुर के सामाजिक संगठन विनायल क्लासिकल एंड कल्चरल वेलफेयर सोसाइटी के महासचिव काशी चटर्जी ने कहा दुर्गापुर शहर में कठोर ईंधन पर आधारित खाना पकाने और कचरे के अनुचित निपटान के मुद्दे पर जागरूक नागरिकों की एक टीम लगातार काम कर रही है। स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर शहर की स्थिति सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।
शोधकर्ता मनोज कुमार ने बताया दुर्गापुर और आसनसोल, जिन्हें राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत चिन्हित किया गया था। 2019 के बाद से किसी भी माह पीएम 10 को राष्ट्रीय औसत स्तर तक लाने में सफल नहीं हुए हैं। यह दर्शाता है कि अब योजनाओं की पुनः समीक्षा कर उन्हें और अधिक प्रभावी बनाना आवश्यक हो गया है। गर्मी के मौसम के आगमन के साथ ही, यह सही समय है कि इन शहरों के लिए विशेष रणनीतियां अपनाई जाएं क्योंकि इस मौसम में वायु प्रदूषण सामान्यतः और बढ़ जाता है।
दोनों शहरों में प्रदूषण के मुख्य कारक :
– खनन आधारित उद्योगों से निकला उत्सर्जन
– कोयला, सीमेंट, इस्पात और थर्मल पावर प्लांट्स
– खुले स्थानों पर कचरे का अनुचित निपटान
-लकड़ी और कोयले जैसे कठोर ईंधनों का उपयोग